Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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डालते हुए बताया, कि "भक्ति में ही अनन्य शक्ति निहीत है। भक्ति में एक अद्भूत ताकत होती है। भक्ति कई तरह से की जाती है। माँ भगवती श्री पद्मावती माताजी का चमत्कार तो प्रत्यक्ष देखा जा सकता है माँ भगवती के प्रति अनन्य श्रद्धा ही आत्मिक भक्ति है। हमारे पूज्य गुरुदेव श्री मुनिराज श्री लक्ष्मण विजयजी म.सा. संवत २०२६ में पालीताणा तीर्थ के चातुर्मास में श्री पद्मावती माताजी की भक्ति में इतने तल्लीन हो गये थे कि २४ भुजा युक्त माताजी ने दर्शन दिये थे। उनमें श्री पद्मावती माताजी के प्रति अन्यान्य श्रद्धा भक्ति थी माताजी के नाम की माला गिने बिना उन्हें चैन नहीं मिलता था। उनके शुभाशिर्वाद से ही आज हमारी इच्छा आकांक्षाए फल फूल रही है। और शंखेश्वर तीर्थ में उनकी चिर स्मृति में श्री पार्श्व पद्मावती शक्ती पीठ गुरु लक्ष्मण ध्यान केन्द्र की स्थापना की जा रही है।
इस महापूजन में श्री जैन संघ मोहना के सदस्य गण पधारे थे मोहना श्री संघ के सदस्यों ने पू मुनिराज श्री को मोहना में गुरु सप्तमी का पावन पर्व मनाये जाने हेतू पधारने की अनुनय विनय भरी विनंति की। मुनि द्वय ने विनन्ती को स्वीकार करके अपने मोहना आने की स्वीकृति दी। मोहना श्री संघ ने जय जय कार के साथ अपार आनन्द व हर्ष व्यक्त किया।
इस महापूजन के दौरान २ महिलाओं को माताजी का पवन संचार हुआ। संगीतमय स्वरों में अत्यन्त हर्षोल्लास के वातावरण में महापूजन पढाई गई। इस महापूजन में करीब २००० श्रावक श्राविकाओं ने पधारकर पूजन का लाभ लिया। श्री राजेन्द्र जैन मंडल की तरफ से आगन्तुक अतिथियों के लिये जलपान की सुन्दर व्यवस्था थी और शाम को शानदार स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया था । अत्यन्त ही आनन्द के वातावरण में महापूजन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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वैर का लावा जिसके हृदय में धधकता रहता है, वह कभी भी अपने अकल्याण की चिंता नही करते ।
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