Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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आज हमारे प्रबल पुण्योदय है कि हम उनकी अभूतपूर्व जिन शासन के प्रभावना स्वरुप हमें "कोंकण केशरी' पद प्रदान समारोह करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
शीवराजजी गोरेगाँव "कोंकण केशरी' पद से सम्बन्धि भावभरा गीत प्रस्तुत किया। गीत की पूर्णाहुति श्री अशोकजी बाफना बड़गाँवने सभा की अध्यक्षता का पदभार संभाला। इस सभा के मुख्य अतिथि थे दानवीर शेठ श्री डूंगरमलजी सरेमलजी दोशी भीनमाल। समस्त कोंकण प्रदेश के श्री संघो के प्रमुख व विभिन्न प्रान्तों व नगरों से पधारे विशेष अतिथि गण मंच की शोभा बढा रहे थे। श्री मोहना जैन संघ की ओर से समस्त अतिथियों का भावभिना स्वागत किया गया।
श्री चन्दनमलजी चाँद ने अपने भाषण में कहा कि पूज्य श्री का व्यक्तित्व एवं कृतृत्व महान है। समस्त कोंकण प्रदेश में ही नही, समुचे महाराष्ट्र प्रदेश में जहाँ भी आप पधारे है वहाँ आपने धर्म की ध्वजा फहराई है। यह कोंकण प्रदेश के लिए गौरवपूर्ण प्रसंग है कि आज हम पूज्य श्री को "कोंकण केशरी" पद पदालंकृत कर रहे है। श्री चाँद ने भाषण के दौरान कहा कि इनके माता-पिता भी कितने महान् है जिन्होने समग्र जैन समाज को लेखेन्द्र और लोकेन्द्र जैसे महान् संतो को जन्म दिया है।
संभा की इसी श्रृंखला में श्री सुकनजी बाफना (कामशेट) ने कहा कि जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि पूज्य श्री को "कोंकण केशरी" पद प्रदान किया जा रहा है तो मेरी आत्म प्रसन्नता का पार नहीं रहा। क्योंकि पूज्य श्री का व्यक्तित्व से आज सारा जैन समाज प्रभावित है। आपने सम्प्रदाय रहित जैन समाज को शुद्ध धर्म कि देशना देकर एक नई मिसाल कायम की है। इसी का सहज परिणाम है कि कोंकण में लेखेन्द्र लोकेन्द्र के नाम कि एक अमर गूंज
पूज्य मुनिराज श्री लोकेन्द्रविजयजी म. सा. ने कहा कि कोंकण प्रदेश की जनता का धर्म स्नेह मिला। जिसके परिणाम स्वरुप हम कोंकण में विशेष तौर जिन शासन प्रभावना के कार्य समापन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कोंकण की जनता की पुकार थी कि पू. मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी म.सा. को कोंकण केशरी पद से अलंकृत किया जाय।
पूज्य श्री का जीवन इतना पावन है कि वे हमेशा पद प्रशंसा और लौकिक लोकैषणा से दूर रहे हैं। उनका जीवन एक आत्मसाधक का जीवन हैं। वे सदा निस्पृह रहे है। मोहने जैन संघ का सतत् १ वर्ष से पद ग्रहण करने हेतु आग्रह रहा। आज कोंकण प्रदेश की ओर से जो विशेष सम्मान प्राप्त हो रहा है वह हमारा नहीं बल्कि हमारे पूज्य गुरुदेव श्री लक्ष्मण विजयजी म.सा. का है। महाप्रयाण से १५ मिनिट पूर्व जो शब्द उन्होंने कहे थे, वे शब्द आज महाराष्ट्र की पावन धरा पर साकार हो रहे हैं। आप सभी का इस प्रकार प्रेम एवं धर्म स्नेह मिलता रहा तो जब भी कोंकण की धर्म परायण जनता हमें याद करेगी, तब हम कोंकण क्षेत्र के लिए. जिन शासन की सेवा देने के लिए तैयार रहेंगे। तालियों की गुंज से आकाश मण्डल गुंज उठा था। इसी बीच मुनिश्री ने कहा कि हम मुनिद्वय जिन शासन की सेवा तब तक करते रहेंगे जब तक हृदय की धडकन हमारा साथ देगी। __ अध्यक्षीय भाषण में श्री अशोकजी बाफना ने कहा कि पूज्य मुनिद्रय से बाफना परिवार का एक वर्ष से निकट का सम्बन्ध रहा है। आप पूज्य श्री की निश्रा में हमारे परिवार में प्रथम बार श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन का आयोजन हुआ जो कि मावल तालुका में यादगार बन गया
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निराश हृदय में जब आशा का अंकुर फूटता है तब उस में आनन्द की किरणे फूटने लगती हैं।
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