Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
View full book text
________________
फाउन्डेशन का उदघाटन किया गया।
अध्यक्ष श्री वस्तीमलजी जी. शाह जवाली उपाध्यक्ष श्री घिसुलालजी सी. जैन जवाली कोषाध्यक्ष श्री सांकलचन्दजी भास्कर आहोर कोषाध्यक्ष श्री रमेश अमिचन्दजी रांका भीनमाल मंत्री
श्री चन्दनमलजी बी. मुथा
श्री शांतिलालजी मुथा सादडी उपरोक्त उद्घाटन के अवसर पर सर्व सम्मति से पदाधिकारियों का निर्णय लिया गया।
संस्था के उद्घाटन समारोह का संचालन श्री चंदनमलजी चांद बम्बई ने किया। श्री मगराजजी भीकमचंदजी जैन जवालीवालों ने इस संस्था का विधिवत उद्घाटन किया। संस्था के मुख्य अतिथि थे, श्री लालचंदजी चुन्नीलालजी इसके अलावा बम्बई से मुख्य वक्ता के रुप में पधारे थे श्री किशोरचन्द्रजी एम. वर्धन। समारोह में विशेष अतिथि के रुप में विराजमान थे सर्व श्री पृथ्वीराजजी सेठ श्री डूंगरमलजी दोशी।
इसी कार्यक्रम के मध्य श्री पार्श्व पद्मावती गीत गुंजन नामक ऑडियो केसेट का उद्घाटन शा श्री हीराचन्दजी भगवानजी आहोर ने किया।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री लोकेन्द्र विजयजी म.सा. ने कहा कि समाज में बहुत से लोग ऐसे है जो स्वयं व्यवस्था नहीं कर सकते, बीमारी का महंगा इलाज नहीं करवा सकते। दु:खी, विधवा और असहाय महिलाएं किसी के आगे हाथ नहीं फैला सकती। ऐसे ही लोगों के परिवार कल्याण के उद्देश्य से इस संस्था का गठन किया गया है।
मुख्य वक्ता श्री किशोरचन्दजी एम. वर्धन बम्बई ने कहा "मुनिराज द्वय के इस कार्य से समाज के मध्यम गरीब वर्ग को बहुत लाभ मिलेगा। समाज में इस प्रकार की संस्था की कमी महसुस की जा रही थी। मुनि द्वय श्री का यह प्रयास वास्तव में स्तुत्य है।, उन्होंने अपनी सुझ बुझ से समाज में एक नई चेतना पैदा की है, और संस्था का गठन कर सामाजिक रचनात्मक गीत शीलता का कार्य किया है। संस्था के कार्यकर्ता गण धन्यवाद के पात्र है। जो उन्होने इस महत् कार्य को हाथ में लिया है। समाज के प्रत्येक दान दाता को इस सेवा और पूण्य के कार्य में अवश्य सहयोग करना चाहिये।
उपस्थित जन समुदाय ने तालीयों के गडगडाहट के साथ संस्था की सफलता की मंगल कामना की।
समय की गति के अनुसार धीरे धीरे चातुर्मास अपने अन्तिम चरण में पहुँच रहा है। कार्तिक पूर्णिमा को परम्परानुसार चातुर्मास परिवर्तन की क्रिया की जा रही है।
गोरेगाँव में चातुर्मास परिवर्तन का लाभ श्री मोहनलालजी मांगीलालजी अमृतलालजी सुकनराजजी श्री श्रीमाल परिवारवालों ने लिया। राजस्थान भवन से प्रात: शुभ बेला में गाजे बाजे के साथ श्री चतुर्विध श्री संघ सहित चातुर्मास परिवर्तन की क्रिया शुरु हई। श्री चिन्तामणी पार्श्वनाथ जैन श्वे. मंदिर में सामुहिक वंदन दर्शन के पश्चात चल समारोह के रुप में चतुर्विध श्री संघ नगर भ्रमण कर श्री श्रीमाल परिवार के घर पर मुनिराज द्वय एवं साध्वी मंडल सहित पधारे
यहाँ
मानसिक चिंता - फिक्र एक प्रकार की ठंडी आग है।
१०९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org