Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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खोपोली में जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव
२२ मई १९८९ को मुनिद्रय ने प्रभात की मंगल बेला में खापोली गांव में प्रवेश किया। यहाँ आज ही से श्री बृहत् शांति स्नात्र महापूजन, श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन तथा अढारह अभिषेक सहित नवान्हिका महोत्सव का कार्यक्रम शुरु हुआ। खापोली गांव के इतिहास में ५० वर्षों के एक लम्बे समय के बाद पहली बार यह भव्य कार्यक्रम मुनिद्रय की शुभ निश्रा में आयोजित किये गये! यहाँ १८ नवकारसी रखी गई। श्री संघ के महानुभावों ने गुरु वचनानुसार अपनी शक्ति के अनुसार उपार्जित लक्ष्मी का सदुपयोग किया!
२५ मई १९८९ को श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र प्रदेश में मुनिद्रय के द्वारा श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन का यह चौथा आयोजन था।
श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन के पश्चात लोनावला जैन संगीत मंडळ ने मुनिद्रय के समक्ष उपस्थित होकर लोनावला में इसी तरह का महापूजन पढाने का निवेदन किया। मुनिद्वय ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान की।
__खापोली गांव में ही २९ मई १९८९ को भव्य वरघोडे का आयोजन किया गया। जहाँ कुछ समय पहले धर्म के प्रति इतनी जागृति नहीं थी वहीं मुनिद्रय के पदार्पण और सद्प्रयत्न सें पूरा वातावरण ही धर्ममय हो गया। वरघोडे का मनोहारी दृश्य देखने योग्य था। इन्द्रध्वजा, हाथी, घोड़े, रथ आदि से सज्जित यह रथयात्रा सुन्दर दृश्य उपस्थित कर रही थी। इतर लोग बडी कुतुहलता पूर्वक यह सब देखकर आनन्दित हो रहे थे। पुरे खापोली गांव में यह अनुठा आयोजन एक लम्बे समय के पश्चात हो रहा था। इससे पूरे गांव में अद्भुत आनन्द के वातावरण का समावेश था।
खापोली में नवान्हिका महोत्सव के कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न करके मुनिद्वय ने लोनावला की ओर विहार किया। लोनावला में श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन पढाना पूर्व निश्चित था! यथा समय लोनावला में प्रवेश किया। लोनावला गांव हील स्टेशन है! प्रकृति का सुन्दर वातावरण है! हील स्टेशन होने के कारण अनेक लोग मनोहारी प्रकृति का आनन्द लेने यहाँ आते है। पूरे लोनावला में प्राकृतिक छटाओं के बीच अनेक आधुनिक सुविधाओं से युक्त आलीशान बंगले बने हुए है। सम्पन्न परिवार के लोग यहाँ आकर ठहरते है। और प्रकृतिक छटाका आनन्द लेते है।
मुनिद्वय १ जून १९८९ को यहाँ पहुँचे। सामैया में मंगल प्रभात का स्वागत करता संगीत का आयोजन रखा गया था। नगर भ्रमण कर मुनिद्वय धर्मशाला मे पधारे। धर्मशाला में मुनिवरश्री लोकेन्द्रविजयजी म.सा. ने मार्मिक सारगर्भित प्रवचन दिया। उनके प्रवचन सुनकर अनिच्छुक व विरोधी विचार धारा के लोग भी मुनिश्री की विचार धारा से सहमत हो गये। श्री जैन संगीत मंडळ लोनावला ने स्वेच्छा से पूरे कार्यक्रम का भार वहन किया।
५ जून १९८९ को श्री पार्श्वपद्मावती के महापूजन का आयोजन रखा गया था। संगीत मंडळ ने अपने कार्यक्रम से वातावरण को अत्यधिक भक्तिमय बना दिया। इस महापूजन के पश्चात आकुर्डी नगर में यह महापूजन पढाने की घोषणा की गई। वर्ष ध्वनि से जय जयकार करके उपस्थित जन समुदाय ने घोषणा का स्वागत किया।
किसी भी छोटे-छोटे मंत्र की आराधना में सिद्ध तन, मन और प्राण की एकाग्रता के बिना होती ही नहीं।
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