Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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मंगल कामनाएँ
यह संसार परिवर्तन शील है। अनादिकाल से पदार्थों का स्वरुप बदलता रहता है। वही व्यक्ति बुद्धिमान है, जो
संसार की बदलती हुई स्थिति में अपने आपको बदले और ऐसा बदले कि फिर बार-बार बदलने की जरुरत नहीं पड़े।
ऐसी महान साधना महान आत्माएँ ही कर सकती है। WOOD समय समय पर इस घराधाम पर पुण्यात्माओं का अवतरण होता हैं, वे
Uणण्ण अपनी साधना एवं निर्मल शुब्द तप रुपी जीवन से जगत् के अंधकार में भटकते हुए प्राणियों को सुमार्ग बताते हैं।
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उन्हीं खला में हमारे परम श्रदेय प.पू. 'कोंकण केशरी' पूज्य मुनिराज श्री लेखन्द्र शेखर विजयजी म.सा. का नाम अति गौरव के साथ लिया जाता है। जिन्होंने पुरे कोंकण प्रदेश में धर्म की लहर फैला दी है। आपकी सद् प्रेरणा से अनेक धार्मिक आयोजन, पूजन, प्रतिष्ठाएँ, समाज को एकता के सुत्र में बांधना, साहित्य सेवा, गरीबों के प्रति करुणा आदि अनेक शुभ कार्य हुए है और हो रहे है।
आपकी वाणी में इतनी मधुरता है कि आप जहाँ भी जाते हैं वहाँ एक मेला सा लग जाता है तथा आपकी साधना का इतना प्रभाव है कि असंभव कार्य भी क्षण मात्र में संभव बन जाता है। वर्षावास में जिन लोगों ने कभी एकासणाभी न किया है उन लोगों ने हँसते-हँसते मासक्षमण कर लिये। ये सभी आपकी अमृतमय वाणी का ही प्रभाव है।
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ऐसे युग प्रधान पुरुष के अभिनन्दन व्रन्थ प्रकाशन पर हमारी और से हार्दिक बधाई है। शुभ कामनाएँ है।
शा. फूटरमल सेनाजी इन्दापुर, तलाशेत (महा.)
शा. दलीचन्द मियाचन्दजी इन्दापुर, तलाशेत
(महा.)
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मानव जीवन भूलों का माया जाल है किंतु जो सञ्जन है, साधु हैं, वे भूल करने के बाद पश्चाताप के जल से पखार कर (धोकर) २९
अपने संपूर्ण जीवन को भूलों के माया-जाल से दूर रख पवित्र एवं निर्मल बनाये रखने का प्रयल सदैव करते रहते हैं। location International For Private & Personal Use Only
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