Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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शुभ-कामना
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संत विश्वचेतना को विकसित करने वाले देवदूत है, अज्ञान अंधकार के गहन
अंधकार में भटकते हुए व्यक्तिओं के लिए प्रकाशस्तम्भ है। अशांति साम्प्रदायिक भाव, वैमनस्यता के बादलों को नष्ट करने वाले दाक्षिणात्य पवन है। उन्ही संत परम्परा के देदीप्यमान सितारे है प. पू. "कोंकण केशरी' मुनिराज श्री लेवेन्द्र शेखरविजयजी म.सा. है जिनकी आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान की उष्कृष्ट साधना है। पूज्य गुरुदेव एक जैन समाज की विशिष्ट विभुति है। आपके जीवन का प्रत्येक कोना हीरे की तरह चमकदार है। आपने कोंकण प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म ज्योति का पुंज फैलाया है। वह सदा के लिए प्रकाशित होता ही रहेगा।
हमारे लिए यह गौरव की बात है की हम गुरुदेव श्री लेखन्द्रशेखरविजयजी म.सा. का विराट्काय अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है यह उनके सदगुणों का अभिनन्दन है। आप अपने कृतृत्व से महान बन दिक-दिशा में यश प्राप्त किया है ऐसे परम श्रदेय पूज्य गुरुवर के चरणों में शत् - शत् वंदन कर, श्रब्दा सुमन अर्पित करते है।
जैन जगत् के है श्रमणरत्न चरणों में अर्पित श्रद्धा सुमन वक्ता, लेखक लेखेन्द्र मुनि के शत्, सहस्त्र वंदन अभिनन्दन
उमरावचन्दजी गुन्देचा
गोरेगाँव-वेस्ट बम्बई शुभ कामना - "कॉकण केशरी" प.पू. मुनिराज श्री लेवेन्द्र विजयजी म.सा. के पद प्रदान समारोह पर जो अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। वह प्रशंसनीय है। यह वान्थ अनेकानेक आत्माओं के लिए जीवन में उपयोगी होगा। इसी मंगल कामनाओं के साथ शत् शत् अभिनन्दन सह वंदना।
भी बाबूलालजी जैन झिणवाला
राजगढ (धार) म.प्र.
३० कर्म का फल तो प्रत्येक आत्मा को भोगना ही पड़ता हैं। मानव तो क्या, देवाधिदेव तीर्थंकर भगवन्त, देवता गण, तिर्थंच
आदि कोई प्राणी ऐसा नही जिसे कर्म ने प्रभावित न किया हो। Jain Education International For Private & Personal Use Only
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