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भावप्रकाश निघण्टुः भा. टी.
वच कही जाती है । हैमवती के गुण भी बचके ही समान हैं किन्तु वातको यह विशेषतासे हनन करती है। इसका नाम हिन्दीमें खुरासानी बच, फारसी में सोसन जर्द तथा अगर, तुरकी तथा अंग्रेजी में Sweet Flagroot है ॥ १०४ ॥
महाभरी - वचा ।
सुगन्धाप्युग्रगंधा च विशेषात्कफकासनुत् । सुस्वरत्वकरी रुच्या हृत्कंठमुखशोधनी ॥ १०५ ॥ परा सुगंधा स्थूलग्रंथिर्यस्यालोके महाभरी । स्थूलग्रंथिः सुगंधा स्यात्ततो हीनगुणा स्मृता १०६॥
सुगन्धा और उग्रगन्धा यह कुलजनके संस्कृत नाम हैं, हिन्दी में इसे कुलिजन फारसीमें खिरद्दासा और अंग्रेजीमें Great Galangal कहते हैं ।
यह विशेष करके कफ और वातको नष्ट करनेवाली, स्वरकारक, रुचिकारक तथा हृदय, कण्ठ और मुखको शुद्ध करती है। दूसरी वत्र सुगन्धा, स्थूलग्रन्थि तथा महाभरी नामसे लोक में प्रसिद्ध है । वह वच सुगन्धयुक्त, मोटी गांठवाली और कुलिंजनसे हीन गुणवाली होती है ॥ १०५ ॥ १०६ ॥
दीपांतरवचा |
द्वीपांतरवचा किंचित्तिक्तोष्णा वह्निदीसिकृत् । विबंधाध्मान शूलघ्नी शकृन्मूत्रविशेोधनी ॥ १०७ ॥ वातव्याधीनपस्मारमुन्मादं तनुवेदनाम् । व्यपोहति विशेषेण फिरंगामयनाशिनी ॥ १०८ ॥ दीपान्तरवच हिन्दी में चोपचीनी, फारसीमें खन और अंग्रेजीमें Chinaroot कहते हैं ।
चोपचीनी- किंचित तिक्त, कुछेक गरम, अग्निको दीपन करनेवाली, मल मूत्रको शुद्ध करनेवाली तथा मल आदिका बन्ध, आध्मान, शूळ वातव्याधि, अपस्मार ( मृगी ) उन्माद तथाam तथा शरीरकी पीडाको चौर विशेषतः फिरङ्ग रोगको नष्ट करनेवाली है ॥ १०७ ॥ १०८ ॥