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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (२०३) इंगुदः कुष्ठभूतादिग्रहणविषक्रिमीन् ॥ ११ ॥ हंत्युष्णाश्चित्रशुलनस्तितकः कटुपाकवान् । इंगद, अंगारपृच, तिक्तक और तापसद्रम यह हिंगोटके नाम हैं। इसे हिन्दीमें हिंगोट और अंग्रेजीमें Daliel कहते हैं। हिंगोट-गरम, तिक्त, पाकमें कटु, तथा कुष्ठ, भूतादिग्रह, व्रा. विष, कृमि, श्वित्र और शूल को नष्ट करता है॥४१॥
__ जिंगिनी। जिंगिनी झिंगिणी झिंगी सनि-सा प्रमोदिनी १२ जिंगिनी मधुरा सोष्णा कषाया योनिशोधिनी। कटुका व्रणहृद्रोगवातातीसारहत्पटुः ॥ ४३ ॥ जिगिनी, झिंगिणी, झिंगी, सनिर्यासा और प्रमोदिनी यह जिंगनीके नाम हैं। जिंगनी-मधुर, गरम, कसैली, योनिको शुद्ध करनेवाली, कटु, लवणरसयुक्त तथा व्रण, हृदयके रोग, वात, अतिसार इनको हरती
तमालः। तमालः शालवद्वेद्यो दाहविस्फोटहपुनः । तमालके गुण शालके समान होते हैं किन्तु यह विशेषता है कि दाद पौर विस्फोटकको हरता है।
तुणी। तुणी तुनक आपीतस्तुणिकः कच्छपस्तथा ॥४॥ कुठेरकः कांतलको नदीवृक्षश्च नंदकः ॥ तुणीरुक्तः कटु पाके कषायो मधुरो लघुः ॥१५॥ तिक्तो ग्राही हिमो वृष्यो व्रणकुष्ठास्रपित्तजित् । तुणी, तुन्नक, पापीत, तणिक, करप, कुठेरक, कांतनक, नन्दीपक पौर नन्दक यह तुनके नाम हैं।
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