Book Title: Harit Kavyadi Nighantu
Author(s): Bhav Mishra, Shiv Sharma
Publisher: Khemraj Shrikrishnadas

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Page 480
________________ (१३८) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । (५७) सुध-शिरमल्ली ( घडी मौलसरी ), श्वेतार्क ( सफेद आक) रोमक (पांशुलवण ), (८) गंडीr-शाकविशेष मंजिट ( मजीठ ), गण्डमूळ ( सफेद दूब ) १९) लगली-कलिहारी (लांगलीकन्द ), गजपिप्पली, नारिकेत (न:रियल) ८) पिच्छिला-शिशिपा (शीशम ), शाल्मली (सिंबल), भूतक (सोनापाठा ), (८१) महासहा-माषपर्णी ( बनमाष), अम्लातक ( वायापुष्प ) जक (कूज ), २) चंद्रिका-मेथी, चन्द्रशूल ( हालो), श्वेतकण्टकारी ( सफेदकटेरी ) ___ चार अर्थोवाले शब्द । (१) श्वेतपुष्पा-इन्द्रवारुणी ( इन्द्रायन ), सिंदुबार ( संभालू ), श्वेतार्क (सफेद भाक), सैरेयक (कटसरैया), ( कारवी-पृथ्वीका ( जी1 ), शतपुष्पा ( सौंफ), कालाजाजी (कलोजी) अजमोदा ( अजमोद ). (३) अंबष्ट-पाठा (सोनापाठा) चांगेरी ( खटमीठी ) माचिका (माई) यूयिका ( जूही). बहुत अर्थोवाले शब्द। (१) पक्ष-सौवर्चल ( संचर नमक), विभीतक ( बहेडा), कर्षे ( एक तोला), पदमाव (पदमाख ), रुद्राक्ष, शकट ( गाड़ी), इन्द्रिय, भर पाशक ( फांसी ). (१) काम-काकमाची ( मकोह), काकोली, काकणंतिका ( लालरत्तक) काकजंघा, काकनासा, काकोदुम्बरिका ( कठूमर ), और भक (कम्बा ). Aho ! Shrutgyanam :

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