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(२७६) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी.।
पर्पटम् । पर्पटो इंति पित्तास्रज्वरतृष्णाकफभ्रमान् । संग्राही शीतलस्तितो दाहनुद्वातलो लघुः ॥ ३८ ॥ पापडा-पित्त, रक्त, ज्वर, प्यास, कफ, भ्रम और दाहको नाश करता है। तथा ग्राही, शीतल, तिक्त, वातकारक और हलका है ॥३८ ।
__गोजिह्वा । गोजिह्वा कुष्ठमेहास्रकृच्छ्रज्वरहरी लघुः । गोजियाके पत्र कुष्ठ, मेह, रक्त, कृर और ज्वरको जीतते हैं तथा
पटोलम् । पटोलपत्रं पित्तघ्नं दीपनं पाचनं लघु ॥ ३९ ॥ स्निग्धं वृष्यं तथोष्णं च ज्वरकासकृमिप्रणुत। पटोलपत्र-पित्तघ्न, दीपन, पाचन, हलके, स्निग्ध, चाय और उष्ण होते है तथा ज्वर, कास और कृमियोंको दूर करते हैं ॥ ३९ ॥
गुडूची। गुडूचीपत्रमाग्नेयं सर्वज्वरहरं लघु ॥ ४० ॥ कषायं कटु तिक्तं च स्वादु पाके रसायनम् । बल्यमुष्णं च संग्राहि हन्यादोषत्रयं तृषाम् ॥४१॥
दाहप्रमेहवातामुकामलाकुष्ठपांडुताः। - गिलोयके पत्र-अग्निवर्धक, सर्व ज्वरनाशक, हलके, कषाय, कटु, तिक, पारमें स्वाद, रसायन, बलकारक, उष्ण, संग्राही, त्रिदोषनाशक तथा प्यास, दाह, प्रमेह, वातरक्त, कामला, कुछ और पांडुरोगकोर करते हैं. . .
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