Book Title: Harit Kavyadi Nighantu
Author(s): Bhav Mishra, Shiv Sharma
Publisher: Khemraj Shrikrishnadas
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( ४२२ )
भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. ।
पत्रा) बहते हैं । यह श्रेष्ठ प्रपानक भीमसेनने निर्माण किया है। यह प्रपानक- तत्काल रुचिकारी, बलदायक और तुरन्त इन्द्रियोंको तृप्त करने बाला है । १३६ ।। १३७ ॥
अथ अम्लिकाफलपानकम् ।
अम्लिकायाः फलं पक्वं मर्दितं वारिणा दृढम् । शर्कराम रिचैर्मिश्रं लवंगेन्दुसुवासितम् ॥ १३८ ॥ अम्लिका फलसम्भूतं पानकं वातनाशनम् । पित्तश्लेष्मकरं किञ्चित्सुरुच्यं वह्निबोधनम् ॥ १३९॥
पक्की इमलीको जल में भिगोकर खूब मलले, उसमें सफेद बूरा, मिथ्व, लौंग, और कपूर आदि डालकर सुवासित करने, इसको फलिकामपानक ( इमलीका पन्ना ) कहते हैं, यह इमलीका पन्नावातविनाशक, पित्त तथा कफकारी, रुविकारक और अग्निवद्धक ★ ॥ १३८ ॥ १३९ ॥
निम्बुक फलपानकम् |
भागैकं निम्बुजं तोयं षड्भागं शर्करोदकम् । लवंगमरिचैर्मिश्रं पानं पानत्रमुत्तमम् ॥ १६० ॥ निम्बूफलभवं पानमत्यम्लं वातनाशनम् । ह्रिदीप्तिकरं रुच्यं समस्ताहारपाचकम् ॥ १४१ ॥
एक भाग नींबू के रस में छः भाग खांडकी पानी ( सबरत ) डाले पौर उसमें लोग तथा मिरच डाले, इसके नींबूपपानक ( नींबू का पन्ना ) कहते हैं। नींबूका पन्ना उत्तम, अग्निदीपन करनेवाला, रुचिकारक पौर सम्पूर्ण आहारको पचानेवाला है ॥ १४० ॥ १४१ ॥
धान्याकपानकम् ।
शिलायां साधु सम्पिष्टं धान्याकं वस्त्रगालितम् ।
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