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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (२१५)
इंद्रनीलं गोमेदः। नीलं तथेद्रनीलं च गोमेदः पीतरत्नकम् । नील, इन्द्रनील, गोमेद, पीतरत्तक यह नीलमके नाम हैं। अंग्रेजी में इसे onyx कहते हैं।
वैदूर्यम् । वैदूर्य दूरजं रत्नं स्यात्केतुग्रहवल्लभम् ॥ १८२॥ वैदूर्य, दूरज, रत्न, केतुग्रहवल्लभ यह वैडूर्यमणिके नाम हैं। इसे अंग्रेजी में Catseye कहते हैं ।। १८२ ।।
- मौक्तिकम् । मौक्तिकं शौक्तिकं मुक्ता तथामुक्ताफलं च तत् ।। शुक्तिः शंखो गजः क्रोडः फणिर्मत्स्यश्च दर्दुरः १८३ वेणुरेते समाख्यातास्तज्ज्ञैमौक्तिकयोनयः । मौक्तिकं शीतलं वृष्यं चक्षुष्यं बलपुष्टिदम्॥१८४॥ मौक्तिक, शौतिक, मुक्ता, मुक्ताफल यह मोतीके नाम हैं। उसे फारसीमें मखारीद और अंग्रेजी में Pearl कहते हैं।
मोतीके मिलने के स्थान-सोप, शंख, हाथी सूअर, सर्प मत्स्य, मेढक और बांस हैं। मोती-शीतल, वीर्यवर्द्धक, नेत्रहितकर, बल तथा पुष्टिकारक है॥ १८३॥ १८४ ॥
प्रवालः। पुंसि क्लीबे प्रवालः स्यात्पुमानेव तु विद्रुमः। प्रवाल पुल्लिंग और स्त्रीलिंग में, विद्रुम पुंल्लिंगमें ही होता है। हिंदीमें उसे मूंगा, फारसीमें मिरजान् और अंग्रेजी में Red CoraL कहते हैं।
____ अथ रत्नानां गुणाः। रत्रानि भक्षितानि स्युर्मधुराणि सराणि च ॥१८॥