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(१८८) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । हैं। बादाम-गरम, स्निग्ध, वातनाशक, वीर्यवर्धक और भारी है। बादा
सकी मजा-मधुर, वीर्यवर्धक, पित्त तथा वायुको नष्ट करनेवाली, स्निाष . गरम, कफकारक और रक्तपित्तविकारियोंको अहितकर है ॥ १२४ ॥ १२५॥
सेवम् ।
मुष्टिप्रमाणं बदरं सेव शिबितिकाफलम् । सेवं समीरपित्तघ्नं वृंहण कफकृद् गुरु ॥ १२६॥ रसे पाके च मधुरं शिशिरं रुचि शुक्रकृत । मुष्टिप्रमाण, बदर, सेव, शिविति काफल यह सेधके नाम हैं। इसे हिन्दीमें तथा फारसीमें सेव और अंग्रेजी में Apple कहते हैं । सेव-वात, "पिनको नष्ट करनेवाला, पुष्टिकारक, कफोत्पादक, भारी,रत और पाकमें मधुर, शीतल ओर रुचि तथा वीर्यको उत्पन्न करनेवाला है।। १२६ ॥
....... अमृतफलम् । अमृतफलं लघु वृष्यं सुस्वादु त्रीन् हरदोषान् १२७॥ देशेषु मुद्गलानां बहुलं तल्लभ्यते लोकैः । अमृतफल (नासपाती अथवा नाख) इनका, वीर्यवर्धक, अत्यन्त स्वादु तथा त्रिदोषनाशक हैं। अमृतफल प्रायः मुद्गल देशोमें अधिक मिलता है ॥ १२७ ॥
पीलः । पीलुर्गुडफलः स्रंसी तथा शीतफलोऽपि च ॥१२८॥ पीलु श्लेष्म समीरघ्नं पित्तलं भेदि गुल्मनुत् । स्वादु तिक्तं च यत्पीलु तन्त्रात्युष्णं त्रिदोषहत्१२९॥ पीलु, गुड़फल, झली और शीतफल यह पीलुके नाम हैं। इसको हिन्दीमें पीलू, फारतीमें दरखते मिस्वाक् और अंग्रेजी में Mustarad tree of scripture कहते हैं । पीलू कफ और धातको नष्ट करने वाला।