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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.
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पित्तकारक, भेदन और गुल्मनाशक है। जो पीलू मधुर तथा तिक्त हो वह किचित् गम और त्रिदोषनाशक होता है ॥ १२८ ॥ १२९ ॥
अक्षटः ।
पीलुः शैलभवोऽक्षोटः कंदरालश्च कीर्तितः । carrotsपि वातादसदृशः कफपित्तकृत् ॥ १३० ॥ पर्वतोत्पत्र पीलूको अक्षोट कहते हैं। हिन्दी में अखरोट, फारसी में बालअंग्रेजी में Walnut नामसे पुकारा जाता है । अतोट भी बादाम के समान गुणोंवाला और कफ पित्तको करनेवाला है ॥ १३० ॥
गज,
बीजपूरम् |
बीजपूरो मातुलुंगो रुचकः फलपूरकः । बीजपूरफलं स्वादु रसेऽम्लं दीपनं लघु ॥ १३१ ॥ रक्तपित्तहरं कंठजिह्वाहृदयशोधनम् । वासकासारुचिरं हृद्यं तृष्णाहरं स्मृतम् ॥ १३२ ॥ बीजपूर, मातुलुंग, रुचक, फलपूरक यह बिजौरा निम्बू के नाम हैं । इसे हिन्दी में बिजौरा निम्बू, फारसी में तुरंब, अंग्रेजी में Sitres कहते हैं । बिजौरा नीम्बू - स्वादु, रस में खट्टा, दीपन, हल्का, रक्तपित्तनाशक, हृदयको प्रिय, तृष्णाको हरनेवाला और कण्ठ, जिह्वा और हृदय इनको शुद्ध करता है तथा वास, कास अरुचि इनको दूर करनेवाला है ॥ १३१ ॥ १३२ ॥
बीजपुरभेदः । बीजपूरोऽपरः प्रोक्तो मधुरो मधुकर्कटी । मधुकर्कटिका स्वाद्वी रोचनी शीतला गुरुः॥ १३३॥ रक्तपित्तक्षयश्वासकासहिक्काश्रमापहा ।
दूसरी प्रकार के बीजपूरको मधुर और मधुकर्कटी कहते हैं । इसको देशभाषा में कोतरा व हते हैं। चकोतरा -स्था, रुचिकारक, शीतल,