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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (१७१) नारियल-विशेष करके पित्तज्वर, और पित्तदोषों को दूर करता है । जीर्ण नारियम-भारी, पित्तकारक दाहोत्पादक और विष्टम्भकारक है। नारियलका जल-शीतल, हृदयको प्रिय, वीर्यवर्धक, दीपन, हलका, प्यास पौर पित्तको जीतनेवाला, स्वादु और वस्तिको शुद्ध करने वाला है। नारियल, ताल और खजूर इनकी शिरा कसैली, स्निग्ध, मधुर, पुष्टिकारक मौर भारी होती है ॥ ३७-४१ ॥
___कालिन्दम् । कालिन्दं कृष्णबीजं स्यात्कालिंगञ्च सुवर्तुलम् । कालिन्द ग्राहि दृपित्तशुक्रहृच्छीतलं गुरु ॥४२॥ पक्वं तु सोष्णं सक्षारं पित्तलं कफवातजित् । कालिन्द. कृष्णबीज, कालिंग और सुवर्तुल यह तरबूजके नाम हैं। इसे हिन्दीमें तरबूज, फारसीमें हदवाना और अंग्रेजी में Water Malon कहते हैं । तरबूज-ग्राही, शीतल, भारी पौर दृष्टि, पित्त और वीर्यको हरनेवाला है। पका हुमा तरबूज-गरम, क्षारयुक्त, पित्तकारी और कफ तथा वायुको जीतनेवाला है ॥ ४२ ॥
दशांगुलम् । दशांगुलं तु खर्बुजं कथ्यते तद्गुणा अथ ॥ १३॥ खबूंजं मूत्रलं बल्यं कोष्ठशुद्धिकरं गुरु । स्निग्धं स्वादुतरं शीतं वृष्यं पित्तानिलापहम् ॥४४॥ तेषु यच्चाम्लमधुरं सक्षारं च रसाद्भवेत् । रक्तपित्तकरं तत्तु मूत्रकृच्छ्रहरं परम् ॥४९॥ दशांगुल और खबूज यह खरबूजेके नाम हैं । इसे हिन्दी और फारसीमें खरबूजा और अंग्रेजी में Melon करते हैं।
खरबूजा-मूत्रवर्धक, बलकारक को ठेकी शुद्धिको करनेवाला, भारी, स्निग्ध, स्वादुतर, शीत, वीर्यवर्धक और पित्त तथा वायुको नष्ट करने