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हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी. । ( १६५ )
पक्का आम- मधुर, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, बल धौर सुखके देनेवाला भारी, वातनाशक, हृदयको प्रिय, वर्णको उत्तम करनेवाला, शीतल पित्तको न करनेवाला, कषाय रसवाळा और अग्नि, कफ तथा वीर्यको बढानेवाला होता है ।
वृक्षपर पका हुबा आम· भारी, वातनाशक, मधुर, अम्ल रसवाला और पित्तको किञ्चित नष्ट करनेवाला होता है। कृत्रिमताले पकाया हुआ आम अम्ल न होने से तथा अत्यन्त मधुर होने से पित्तको नष्ट करता है । चूसा हुआ ग्राम अत्यन्त रुचिकारक, बलवर्धक, वीर्यकारक, हलका, शीतल, शीघ्र पाचन करनेवाला, वात और पित्तको हरनेवाला तथा दस्तावर है | आमका निकाला हुआ रस-बलवर्धक, भारी, वातनाशक, दस्तावर, हृदयको अप्रिय, तृप्तिकारक, धातुभोंको पुष्ट करनेवाला और कफवर्धक है। आमका खण्ड ( सुरख्या) भारी, अत्यन्त रुचिकारक, व देर में पकनेवाला, मधुर, वातुओं को पुष्ट करनेवाला, बलकारक, शीतल और वातनाशक है ।
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दूधके साथ खाया हुआ आम-वात तथा पित्तको हरनेवाला, रुचिकारक, पुष्टिकारक, बलवर्धक, वीर्यको बढानेवाला, वर्णको उत्तम करनेवाला, स्वादु, भारी और शीतल है ।
ग्रामका अत्यन्त भक्षण करना- मन्दाग्नि, विषमज्वर, रक्तविकार, मलका रोध, उदररोग तथा नेत्रव्याधियों को उत्पन्न करता है । इसलिये ग्रामको बहुत नहीं खाना चाहिये। यह दोष अम्ल आम खानेसे होते हैं, मधुरसे नहीं, क्योंकि मधुर आम खानेसे नेत्रों को हितकर यदि गुण होते हैं । यदि ग्राम अधिक खाने हों तो सडके पानी अथवा जीरा पौर काले नमक के साथ साथ सेवन करना चाहिये ॥ १--१५ ॥
अथाम्रावर्तस्य लक्षणं गुणाश्च ।
पकस्य सहकारस्य पटे विस्तारितो रसः । धर्मशुष्को मुहुर्दत्त आम्रावत इति स्मृतः ॥ १६