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. (६४) भावप्रकाशनिघण्टुः भा. टी. । तीक्ष्ण,उष्ण,रूखा,रुचिकारक,न्यवायी, विवंधनाशक तथा पानाह,विष्टम्भ उदर्द, शरीरका भारीपन और शूलको नाश करता है ॥२४६ ॥२४७ ॥
सौवर्चलम् । सौवर्चलं स्याद्रुचकमक्षपाकं च धातुमत् ॥ २४८॥ रुचकं रोचनं भेदि दीपनं पाचनं परम् ।
सस्नेहं वातनुनातिपित्तलं विशदं लघु ॥ २४९ ॥ सौवर्चल, रुचक, अक्षपाक और धातुमत् यह सश्वर नमकके नाम हैं। इसे हिन्दीमें काला नमक, फारसीमें नमक स्याह तथा अंग्रेजीमें Black Salt कहते हैं इसको काला नमक भी कहते हैं। सश्चर नमक-रुचिकारक, दस्तावर, अग्निदीपक, पाचन करनेवाला, स्निग्ध, वातनाशक, पित्तको किश्चित् बढानेवाला, विशद और हल्का है ॥२४८ ॥ २४९ ।।
औद्भिदम् । औद्भिदं पांशु लवणं यज्जातं भूमितःस्वयम् । क्षारं गुरु कटु खिग्धं शीतलं वातनाशनम् ॥२५०॥ औद्भिद और पांशु लवय यह खारी नोनके नाम हैं। यह नमक भूमिसे स्वयं ही उत्पन्न होता है। पांशु लक्षण-क्षार, भारी,कटु, स्निग्ध, शीतल और वातनाशक है॥२५०॥
चणकाम्लकम् । चणकाम्लकमत्युष्णं दीपन दंतहर्षणम् । लवणाम्लरसं रुच्यं शुलाजीर्णविबंधनुत् ॥२५॥ चणकाम्लक ( चनेका खार) बहुत उष्ण,दीपन, दन्तहर्षकर्ता, नमकीन और खट्टे रसवाला है, रुचिकारक, शूल, अजीर्ण और विवाधको नाश करनेवाला है ॥ २५१॥
Aho? Shrutgyanam