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भावप्रकाश निघण्टुः भा. टी. ।
उपकुंचिका ।
सूक्ष्मोपकुञ्चिका तुत्था कोरंगी द्राविडी त्रुटि: । एला सूक्ष्मा कफश्वासकासार्शोमूत्रकृच्छ्रहृत् ॥६३॥ रसे तु कटुका शीता लघ्वी वातहरी मता ।
सूक्ष्मा, उपकुञ्चिका, तुत्था, कोरंगी, द्राविडी, त्रुटी यह छोटी इलायची के संस्कृत नाम हैं । इसको हिन्दीमें छोटी इलायची, फारसीमें डैल तथा अंग्रेजी में Sheleser Cardamum कहते हैं ।
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सुक्ष्म एला-रसमें कटु, शीतल, हलकी, वातनाशक तथा कफ, श्वास, काल, अर्श, मूत्रकृच्छ्र इनको नष्ट करती है ॥ ६३ ॥
त्वक ।
त्वक्पत्र च वरांगं स्याद् भृंगं चोचं मदोत्कटम् ६४ ॥ त्वचं लघूष्णं कटुकं स्वादु तिक्तं च रूक्षकम् । पित्तलं कफवातघ्नं कण्ड्वामारुचिनाशनम् ॥६५॥ हृद्वस्तिरोगवाताशःकृमिपीन सशुक्रहृत् ।
स्वपत्र, वरांग, भृंग, चोच तथा मदोत्कट यह त्वक्पत्रके संस्कृत नाम हैं। इसे हिन्दी में तेजपात और अंग्रेजी में Cinnamon कहते हैं
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स्वपत्र - हलका गरम. कट्टु, मधुर, तिक्त, रूक्ष, पित्तवर्धक, कफवातनाशक, कण्डु, आम, अरुचि, हृदयके रोग, वस्तिकें रोग, वात, अर्श, कृमि, पीनस और शुक्रको नष्ट करता है ॥ ६४ ॥ ६५ ॥
दारुसिता । स्वस्वाद्वीतनुत्वक सा स्यात्तथा दारुसितामता ६६ उक्ता दारुसिता स्वाद्वी तिक्ता चानिलपित्तहृत् । सुरभिः शुक्रला वर्ण्य मुखशोषतृषापहा ॥ ६७ ॥
श्वकू, स्वाद्वी, तनुत्वक तथा दारुसिता यह दालचीनी के संस्कृत नाम हैं। इसे हिन्दी में दालचीनी,gyaफारसी में दानी तथा