Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 30
________________ प्रस्तावना ज्ञानपंचमी माहात्म्यदर्शक कथासाहित्य अल्यारसुधी अप्रकट अने अनेक दृष्टिए अपूर्व एवा अर्थ गंभीर जे कथा - ग्रन्थ विद्वानोना करकमलमां, आ सिंधी जैन ग्रन्थमालाना २३ मा मणकारूपे उपस्थित थाय छे ते कथा - ग्रन्थy नाम 'पंचमी कथा' छे. आ ग्रन्थमां पंचमी-माहात्म्यनुं वर्णन प्रधानपणे करवामां आवेलुं छे तेथी तेनु 'पंचमी माहप्प' एवं सुसंबद्ध बीजू नाम पण राखवामां आवेलुं छे.' आ कथा - ग्रन्थ बे हजार जेटली गाथामां जैन माहाराष्ट्री प्राकृतमां लखायेलो छे.' भाषा उपर कचित् अपभ्रंशनी तो क्वचित् अर्धमागधीनी असर पडेली छे पण एकंदरे जैन माहाराष्ट्री प्राकृतमां आ ग्रन्थ लखायेलो छे एम जरूर कही शकाय. ज्ञान पंचमीना व्रतने अनुलक्षी कोईए संस्कृतमां, कोईए प्राकृतमां, कोईए अपभ्रंशमां तो कोईए गूजरातीमां कथाओ लखेली छे. ते बधी कथाओ कां तो 'ज्ञान पंचमी माहात्म्य,' 'पंचमीकहा,' 'भविस्सयत्त कहा', 'सौभाग्यपंचमी कथा', 'वरदत्तगुणमंजरीकथा' इत्यादि नामथी प्रचलित छे. परंतु ते बधीमा महेश्वरसूरिरचित प्रस्तुत कथा उपलब्ध साहित्यमां कदाच जूनामां जूनी होय एम लागे छे. भिन्नभिन्नकर्तृक पंचमी माहात्म्य कथाओ महेश्वरसूरिरचित प्रस्तुत 'पंचमी कथा'नी पाटणनी हस्तलिखित प्रतिनी जे प्रतिलिपि छे ते उपरथी एम स्पष्ट देखाय छे के ते प्रति जेसलमीर भंडारनी १००९ (विक्रम संवत् ) वर्षमां लखेली ताडपत्रीय प्रति उपरथी वि. सं. १६५१ मां आषाढ शुक्ल तृतीया ने सोमवारने दिवसे पुष्य नक्षत्रमा तपागच्छाधिराज भधारक पंडित श्री आनंदविजय गणि शिष्य बुद्धिविमल गणीए पूरी करी हती. पण जेसलमीर भांडागारीय ग्रन्योनी सूची तपासतां मालुम पडे छे के उपर्युक्त ताडपत्रीय प्रतिनो लेखन संवत् ११०९ मुकवामां आव्यो छे अने एना वर्णनमा सूचीकार पंडित ला. भ. गांधीए लख्युं छे “अस्मादेव आदर्शात् सं. १६५१ वर्षलिखिते पत्तनीयपुस्तके 'सं. १००९ वर्षे लेखनमस्य प्रादर्शि' ।" आ उपरथी बराबर एक सैकानो तफावत नीकळे छे. जेसलमीर भंडारनी ताडपत्रीय प्रति प्रत्यक्ष तपासतां १००९ नी साल नीकळे छे एटले हवे ए बाबत शंकाने स्थान नथी. जेसलमीर भंडारनी सूची बनावनार सूचीकारनो ए प्रमाद दोष होय एम लागे छे. गमे तेम पण ग्रन्थकार श्री महेश्वरसूरिनी प्राचीनता तो स्पष्ट ज देखाय छे. आज कथानी बीजी एक १ जुओ 'जेसलमीर भांडागारीय ग्रन्थोनां सूची' (जे. भा. ग्र. सू.) गायकवाड ओरीएन्टल सीरीझ (गा. ओ. सी.) नं. २१. वडोदरा, १९२३. पृ. ४४. तेने ज्ञान पंचमी कथा' तरीके पण ओळखावेल छे-जुओ 'पत्तनस्थ प्राच्य जैन भडिागारीय ग्रन्थ सूची' - प्रथम भाग (प. भा. ग्र. सू. भा. १) गा. ओ. सी. नं. ७६. वडोदरा, १९३७, प्रास्ताविक, पृ. ५७. २ मारी पासे जे प्रतिलिपि छे ते उपरथी तो तेम लागे छे. (मिलियाणं च दसाण वि एत्थ कहाणाण होइ विन्नेयं । गाहाणं माणेणं दोण्हिसहस्साइं गंथग्गं ॥ १०॥५००); परंतु एक ठेकाणे २००४ गाथानो उल्लेख पण मळी आवे छे. ते माटे जुओ खास करीने 'वृहट्टिप्पनिका' (जैन साहित्य संशोधक, वो. १, अं.२) मांगें नीचेनुं वाक्यः 'पञ्चमी कथा दशकथानकात्मिका प्रा. महेश्वरसूरीया २००४' ३ जैन माहाराष्ट्री प्राकृत ए नामकरण माटे जुओ याकोबी संपादित 'समराइच कहा'नी प्रस्तावना (बीब्लीओथीका इन्डिका सीरीझ, वोल्युम-१६९) पृ. २१-२२. ४ उपर्युक्त जे. भा.प्र. सू. पृ. ४४ तथा पृ. ५२. माणप० प्र० 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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