Book Title: Gyanpanchami Katha Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith MumbaiPage 74
________________ सिरी महेसर सूरिविरइयाओ नागपंचमीकहाओ । 卐 ॥ ॐ नमो वीतरागाय' ॥ १ ९ पंचेंदिर्य निरवेक्खं पंचनमोक्कारहेउयं तह य । पंचमगइसाहणयं पंचमनाणं नमसेउं ॥ दुविहाऍ पंचमी कालं पुरिसं विहाण - गहणं च । उज्जवणं फलभावं गाहाहिँ म हे सरो भणइ ॥ २ सक्कयकवस्त्थं जेण न जाणंति' मंदबुद्धीया । सव्वाण वि सुहबोहं तेण इमं पाइयं रइयं || गूढत्थदेसिरहियं सुललियवन्नेहिँ ' गंधियं रम्मं । पाइयकवं लोए कस्स न हिययं सुहावेइ ? || परउवयाररएणं' भासा सा होइ एत्थ भणियन्वा । जायइ जीऍ विबोहो सवाण वि बालमाईणं ॥ पंचवरिसेहि जेट्ठा पंचहिँ मासेहिँ लहुइया होई । एवइयकालमाणा होइ अखंडा य' कायद्या ॥ ज कह वि असामत्थं होइ सरीरस्स दिवजोएणं" । ता उत्तरकालं पि हु पूरिजा असढभावो" उ ॥ ७ खलिओ विजद्दा सुहडो पुणरवि वलिऊण पावइ जसोहं । तह नियमं पूरितो" जीवो सुहभायणं होइ ॥ ८ एगणं जेणं चउत्थवयपालणं दढं भणियं । तेण जहासत्तीए सेसं खलु होइ काय ॥ ज हो असमत्थो काऊणं जे पंचमिं को वि" । सो इयरिं पि करेजा तीए वि फलं जओ " तुलं ॥ १० लहुई वि किरियाए सोक्खं खलु होइ असढभावस्स । विसमविसे मरंतं किन्नवि रक्खेइ अमयंसो ? ॥ कित्तीऍ" मच्छरेण मैं पूयनिमित्तं च चित्तपीडाए । उग्गं पि तवं चिन्नं दोग्गइगमणं पसाहेइ " ॥ पुरिसो वा इत्थी वा नाऊणं निययदेहसामत्थं । संमत्त - नाणकलिओ माणां विवजिओ धीरो || गंतून जिणिंदघरं काऊणं तस्स विविहपूयं च । ठविऊण पोत्ययवरं सुहतंदुलसत्थियं कुज्जा ॥ घयपरिपुन्न" काउं पंचाहिँ वट्टीहिँ दीवयं तह य । फल- पुप्फ-वत्थ- गंधाइएहिँ परिपूयणं करिय ॥ लहुई" पंचमीए गहण - विहाणं इमं तु विनेयं । एयं चिय पंचगुणं इयरीए होइ कायध्वं ॥ तत्तो गुरूण पुरओ गहिऊणं पंचमीऍ उववासं । सुद्धे पक्खम्मि सुहे सव्वाण वि कम्ममासाणं ॥ मग्गसिरे तह माहे फग्गुण- वइसाह - जेड - आसाढा । एए कंमियमासा सेसा य अकम्मिया मासा || उववासो य अकम्मो अहव करेजा उ थोवमणवजं । पहाणं खरस्स इयरह छारेण य लोट्टणं जाण ॥ अह पुन्नाएँ ताए नियविहवं भाविऊण हियएणं । हीणो-तम-मज्झिमयं उज्जवणं" होइ कायवं ॥ पंचण्डं पोत्थाणं काऊण लिहावणं च सत्तीए । पच्छा जिणवरबिंबे" हवणाईयं" सुहं काउं ॥ ठविऊण पोत्थयाई काऊण विलेवणं च वन्नेहिं । कयपुप्फाइविहाणो देइ बलिं पंच पंचेहिं ॥ ११ १२ १३ १४ ' १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ Jain Education International 1 B जिनाय । 2 A पंचिंदिय | 3 B दुविहाय । 4 C याणंति । 5 A अयं । 6A वयणेहिं । 13 18 7A हाणं । 8 C जीव । 9 B उ । 10 B जोएण । 11 B भावा । 12 B पूरेंतो। 14 A कोइ । 15 C जतो । 16 B लहुईऍ । 17 B विसयंसेण; C विसअविसेण । 19 B व । 20 A पयासेइ | 21 C माणादि । 22 A डिपुनं । 23 A लहुई । 25 A छारेणं | 26 B पुष्णाए । 27 B उजमणं । 28 B पंचन्ह पोत्थयाणं | 29 B भवणे | 30 C °इ वरं । 24 A नु । ४ For Private & Personal Use Only B होजउ । B कित्तीय । www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162