Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 99
________________ २६ सिरी महेसरसूरिविरइयाओं [ ३, २९-५६ ॥ ३४ ॥ ३५ ॥ ३६ तम्हा सामि ! न जुज्जइ महिलाण समप्पिऊण अप्पाणं । सुहु विरागजुएहिं उचियं चिये कीरए ताण ॥ २९ महिला गोसाणी वय नीया तह दुज्जण य पयईए । अइसम्माणं नीया चडंति सीसेसु सामीणं ॥ ३० इय जंपियम्मि तीए सुहुयरं रंजिएण रुद्देणं । तह गाढयरं पुट्ठा जह कहियं तस्स परमत्थं ॥ ३१ तुट्ठेण तओ भणिया तारा रुद्देण किन्न भणिएणं । तं चिय वित्तं सहलं जेण तुमं निघुया होसि ॥ ३२ वित्तेण हणह वसणं रक्खह वित्तेण तह य भज्जाओ । वित्तेणं भज्जाहि य अप्पाणं चेव रक्खेज्जा ॥ ३३ भंडारं कोट्ठारं उग्वाडेऊण दंसियं सवं । देसु पिये ! मा संकसु तुहतणयं सयलमेयं तु नयरिमुसु प य मढ - देवतलाय - कूवमाईसु । अवारियसत्ताई सिग्धं रुद्देण दिन्नाई ॥ दिजइ बहुविहदाणं तह कीरइ परियणस्स सम्माणं । राया विरुद्दणेहा मेलइ बंदीर्ण संघायं पडिपुन्ने' दोहलए ताराए कालपरिणईंवसेणं' । गुणसंजुत्ते लग्गे स ( सं ) जाया दारिया विमला ॥ जायाऍ तीऍ जेणं पइदियहं " सव्वमेव भद्दं ति । तेण कथं से नामं गुरुयणेलोण भद्दत्ति नरवइणो वि हु धूया वय-रूवसमाणया ज्या नाम । जिणवयणभावियमई तीऍ सहित्तेण संजाया ॥ ३९ कलगहणं विन्नाणं भोयण - वैरकील- मज्जणाईयं । एगत्थ कुणंति सया ताओ नेहाणुबंधाओ अन्नोन्नं गिण्हिज्जेई विलसिज निच्चमेव एगत्थ । सन्भावेण वलिजेई एसो नेहरू परमत्थो ॥ ४१ सोऊण मुणिजनाओ माहप्पं पंचमीए भावेणं" । गिण्हंति ताओं दो विहु सद्धा - संवेगकलियाओ ॥ ४२ अन्नदियहम्मि सहसा स भद्दा वीहिपीडिया सुहु । अइविरसं आकंदइ जयाऍ कंठम्मि परिलग्गा ॥ ४३ सूलं सासो" खासो" सिरवेयण- दंत-कन्नवियणाओ । एगपए भद्दाए जायाओ सुड्डु तिवाओ ३७ ॥ ३८ 1180 ॥ ४४ जाणया स वि हुँ आणिया तहिं तुरिया । नाऊण असज्झं" " सवे वि गया ये परिहरिउं ॥ ४५ जंपइ भद्दा वितओ गहिऊण सहिं करेण दुक्खत्ता । बहिणि" महं अइदुक्खं जं ण वि वयपूरणं जायं ॥ ४६ तह न तव मह वाही जह असमत्ती वयस्स एयस्स । अहवा वाहिदुहाओ अहियं आहीण दुक्खं तु ॥ ४७ वाही तओ भद्दा इवयदिवसेहिँ तह कया झत्ति । जह कहिया वि न नज्जई एसा सा भद्दकन्न त्ति ॥ ४८ तो जया विचिंत वेलीं भद्दाऍ " मज्झ अवियारं । समसुह- दुक्खाण जओ भणियं मित्तत्तणं लोए ॥ ४९ जइ नैं वि” गहेइ दुक्खं अह न वि फेडेइ केण वि बलेण । ता मित्त-अमित्ताणं को भेओ एत्थ लोयम्मि१॥५० मित्तो वि भणइ हा हा इयरो इव जई जणस्स पासम्मि । ता नामेणं दड्ढो" जाओ सो दोणहुलो" ति ॥ ५१ ता तं करेमि किं पि विनासेज्जा जेण भद्ददुक्खं तु । अह व मरेनं सयं चिय एवं सइ मित्तया सहला ॥ ५२ एवं ठविऊण मणे भइ जया भद्दसम्मुहं वयणं । सुयणु ! न कीरइ दुक्खं देव्वायत्तम्मि कमि ॥ ५३ दिव्वं च पुष्वकम्मं तस्सायत्ताइँ सोक्ख- दुक्खाई" । तं च सयं चिय रइयं रूसिज्जइ कह णुं अन्नस्स ! ॥५४ जीवो जं किर कम्मं करइ हसंतो वि एत्थ संसारे । तं वेयइ रोयंतो तह य कणंतो ससंतो " य ॥ ५५ होइ सरीरं खेत्तं बीयं पुण कम्ममेव पुविलं । भुंजंतो निययकिसिं लोओ किं खेयमुच्वहइ ? ॥ ५६ 1 A जं । 2 A उचियं । 3A साणे । 4 B जुजणा । 5 B C किमन्न । 6 BCD बंदाण | 7 CD परिपुन्ने । 8 B परिणय' । 9 B वसेण । 10 B पर्यादियहं । 11 A जण । 12 C पर | 13 B 'बद्धाओ । 14 B गेण्हेज्जइ । 15 A मेव is missing in this Ms. 16 BD चलिज्जइ । 17 C 20 A जायाए । 21 B खासो । भावेण । 18 A it is missing in this Ms. 19 A वाहीऍ । 22 B सासो । 23 BD विजा । 24 Aय । 25 B C असज्झ । 26 B C तं । 27 B ए। 28 A परिहरियं । 29 C बहिनि | 30 B तरइ | 31 सज्जइ । 32 B चेला | 33BC भद्दाय । 34 A वि । 35 A न। 36 B C it is missing in these Mss. 37 B C जणवयस्स | 38 AC दहो । 39 A दोणभुलो; B दङ्गतुल्लो; C देहुलो । 40 A वाही । 41 A य। 42 A मरिज । 43 A नूण । 44 A सोक्खाई। 45 A व 46 AC हसंतो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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