Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 107
________________ सिरीमहेसरसूरिविरइयाओ [४, १२४ - १२५, ५, १-२१ कालं काऊण तओ सो' वीरों आगमाणुसारेणं । पत्तो अचुयकप्पे तेएणं पंचमिवयस्स ॥ १२४ वीरक्खाणयमेयं सोऊणं जो करेइ पंचमियं । लहिऊण विसयसोक्खं सो पावइ परमनिव्वाणं ॥ १२५ इति श्रीमहेश्वराचार्यविरचिते पञ्चमीमाहात्म्ये वीराख्यानक चतुर्थ समाप्सम ॥ * ५. कमलाकहा। पियसंगमेण कलियं भणियं अक्खाणयं च वीरस्स । बंधण-मुयणसमेयं संपइ कमलाए भणिमो हं ॥ १ चोर्ड(ड) व हीरयजुओ अग्गीगेहं व पावयसमेओ।रंड व सयखणिओ य अत्थि वरो लाडदेसो त्ति ॥२ रन्नं व सावयपियं कामिणिवयणं व सोहणालीयं । नम्मयनईएँ तीरे नयरं तत्थत्थि भरुयच्छं ॥ ३ तत्थ य राया मेहो मेहो इव सव्वसस्ससंजणओ । तस्स य घरिणी विमला विमलाणणसोहिया सुयणु ॥ ४ तेसिंधूया कमला कमले" व सुहावहा जणमणाणं । लायन्नस्स निहाणं खाणी व गुणार्णं जो सुहया॥५ सत्तण्ह भाउयाणं सा लहुया सत्तबुद्धिसंजुत्ता । वड्डइ वड्डियकामा सवेसिं रायपुत्ताणं ॥ ६ रइ-लच्छि-गोरिरायं मयण-जणद्दण-हरा वि मेल्हंति । दहण तयं कन्नं किं पुण अन्नेसु दारेK १ ॥ ७ सा चेव एत्थ सुहया जा इट्ठा इट्ठमहिलकलियाणं । कामेणं तवियाणं रासहि य वि अच्छरा होई ।। ८ कयसणतित्तो वि जहा मणोजभोजम्मि कुणइ अहिलासं । इयरत्थीजुत्तो विहु तहेव महिलाण रयणम्मिं ॥९ छुहिए असणं तिसियाणं पाणियं कामुयाण संजोओ। होंत विसूरो एसो कामो" उ विसेसिओ' होइ॥१० सोपारयम्मि नयरे राया रइवलहो सुविक्खाओ । रइवल्लहो व हियए जो वट्टई सबलोयाणं ॥ ११ चंगत्तणम्मि रेहा दिज्जइ तस्सेव एत्थ लोयम्मि । जो वन्निजइ सययं अरिणा वि हु पयडवयणेहिं ॥ १२ अइउत्तमौ वि लोए जायंति य सत्तु-मित्त-मज्झत्थी । सवेसिं भूवाण वि रिउणो सुवंति जेणेह ॥ १३ मा वहउ कोई गवं मह सत्तू नत्थि एत्थ लोयम्मि । मुणिणो विभिन्नपक्खा हवंति जेणेह नियमेणं ॥ १४ चंगं सुङ महग्धं वत्था-ऽऽहरणाइयं च पउरंमि । मेहस्स रंजणत्थं पेसइ रइवल्लहो सययं ॥ १५ पडिवजावइ सेवं लिहियपयारेहिँ दूयवयणेहिं । पयडावइ गुणनियरं अप्पणयं चारणाईहिं ॥ १६ इ8 पि" जणं मेहं निंदतं भणइ तिक्खवयणेहिं । मेहस्स लेहमाई सीसेण पडिच्छए पणओ॥ १७ दाणग्गहणपसंसा अणुकूलत्तं च सबकजेसु । एएण विलसिएणं मित्तत्तं भयइ सत्तू वि ॥ १८ चिंतइ मेहो वि इमं गुणगणनियरेण तह य विणएणं । रइवल्लहेण सरिसो अण्णो इह नत्थि रायसुओ ॥ १९ कमला वि गुणब्भहिया इत्थीलोयाओं एत्थ भुवणम्मि । अणुरूवं संजोयं तम्हा एयाण करिमो" हं ॥२० इय चिंतिऊण जंपइ पुरओ मंतीण नीइकुसलाणं । कमलाएँ वरं जोयह अणुरूवं जं जए एत्थं ॥ २१ 10वीरो। 2 Cखलु । 3 B सोऊण। 4 B it is missing | 5 B पंचमी जो उ। * B वीराख्यानकं समाप्तम् ; C इति महेश्वरसूरिविरचितं पञ्चमिफलसंसूचकं व्याख्यानकं चतुर्थ समाप्तम् । 6 B चोडु। 7Cमि। 8 B सिरिनम्मयाएँ। 9 B नामेण। 10 B तीसे। 11-12 B कमलिग्व। 13 C निहाणा। 14-16 B सुहाण खाणी व। 17 A जण। 18 B मिल्लति । 19Cदारासु। 20-22 B जेण खरी । 23A एइ। 24 A °हुंता; D°भोई। 25 BC महिला। 26 BC परयणम्मि। 27 28Cवि जं जलं। 29 B कामा। 30 B विसेसओBC विसेविओ। 31Cत्ति। 32 B वट्टइ। 33A उत्तिमे। 34C मज्झत्थं । 35A B पूयाण; C भूयाण। 36 A पुष्वंति। 37 A जेणाह। 38 C को उ । 39 B परं पि। 40 C अप्पाणं । 41-44 A किन्वन्नसि हयमेहं। 45 BC अणुरूयं । 46 B एयं। 47 Bकरेमो। 48 C अणुरूयं। 49 B तुरियं; D इत्थ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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