Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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३२
सिरीमहेसर सूरिविरइयाओ
[ ४, ७१ - ९७
धावर पमग्गेणं एसा सा मज्झ पिययमा जाइ । मह पुरओ कह नाससि अबल च्चियं तं पिए ! जेण ? ॥ ७१ सोऊण सउणिस पडिवयणं देव उन्नयग्गीवो । कीस पिए ! पोक्कारसिं ? एसो हं आगओ सिग्धं ॥ ७२ उवरिलम्मि विलग्गे तरुवरंगहणम्मि मुणइ सो मूढो । गहियं एयं वत्थं नियमा मह हियर्यदइयाए ॥ ७३ बोलंतस्स लयाए गाढं गुत्तम्र्मिं केसपासम्मि । मन्नइ पियाऍ धरिओ केसेसुं सुडु रुट्ठाए || ७४ पक्खलिये पडियदेहो चिंतइ कंताऍ सुहु रुट्ठाए । चलणेसुं अहं पहओ चिरकालाओ अ ( इ १) हं पत्तो ॥ ७५ किं बहुणा भणिएणं ? सवं पि हु दीवयं मुणइ भज्जं । वीरो मोहियचित्तो हिंडतो तत्थ अणुदियहं ॥ ७६ विरहो श्चिय सेयय" वल्लहलोएण एत्थ संसारे । जायइ जेण जणाणं तिहुयणमिव तम्मयं विरहे ॥ ७७ तोहणाय सहसा अइसयनाणी य चारणो समणो । दीवम्मि तम्मि पत्तो नामेणं चंदगुत्तो त्ति ॥ ७८ वीरेण भमंतेणं दिट्ठो सो मुणिवरो सुहनिसन्नो । तस्स पभावेण तओ उम्माओ दूरओ नट्टो ॥ ७९ तं वंदिऊण वीरो उवविडो महियलम्मि तप्पुरओ । पुच्छइ मुणिवरवसहं" कत्तो भट्टारया आया ? ॥ ८० अह मुणिवरेण भणियं पत्ता अम्हे सुवन्नदीवाओ । अट्ठावयम्मि चलिया परिसंता एत्थ " वीसमिया ॥८१ चिंतइ बीरो मुइओ नूणं नाही पियाऍ मह एसो । वत्तं जहासरूवं पइगेहं हिंडए जेण ॥ ८२ बालंजुयपव्वाई भिक्खयरा देसहिंडिया तह य । सवाण वि" लोयाणं नियमा जाणंति वत्ताओ || ८३ इय चिंतिऊण पुच्छइ समणं वीरो कहेह मह भयवं ! । दीवम्मि तम्मि दिट्ठो किं सत्थो रायगिहतणओ? ॥८४ मुवि सत्यवत्ता कहिया तह सत्थियाण नामाई । तेसिं चिय चरियाई सुवयचरियं च धणचरियं ॥ ८५ इय जंपियम्मि मुणिणा चिंतइ वीरो मणेण परितुट्ठो । जह जाणियैमि मिमिणा नाही अन्नं पि तह चेव ॥८६ भयवं ! कुणसु पसायं कहसु ममं सवजाणओ तं सि । किं सुवयाऍ " संगो मह होही ? अहव णेव त्ति ॥ ८७ अह मुणिणा विभणियं तुह संगो तीऍ नियमओ होही । ति मासेहिँ एहिँ खीणे कम्मे वि बंधयरे * ॥
८८
किं इहलोइयमेयं किं वा परलोयसंचियं किं पि" ? । जस्तै विवागो एसो" वीरो मुणिसम्मुहं" भणइ ॥ ८९ भइ मुणी इह भर गयउरनयरम्मि पिंगलो नाम । आसि तुमं सेट्ठिसुओ तुह भज्जा नाम चंदवई ।। ९० * चिंतिय मणेण एवं (B एवं) गहिया भावेण पंचमी तुमए । जम्मंतरे वि विरहो मा मह कंताऍ सह होज्जा ॥
९१
अन्नदियहम्मि तुमए मजंतेणं" नईऍ तीरम्मि । गंतूण सणिय-सणियं गहिया खलु चक्कवाइ ति ॥ ९२ गहियाऍ ताऍ विहगो विलवइ गाढं च कलुणसद्देणं । उप्पयइ गयणमज्झे निवडइ वेएर्ण जलमज्झे ॥ ९३ दक्षूर्ण निययैछायं एसा ममैं पिययमी त्ति" सहसैं ति । आससइ सुट्टु मुइओ निस्साओ” मुच्छिओ मुयँ ॥ ९४ इ बहुमेयं दुक्खं अणुहवरें जाव बारसमुहुत्तं " । ता तस्स तए मुक्का मिलिया सा पिययमा झत्ति ।। ९५ कम्मस्स तस्स उदए विरहो त पिययमाऍ संजाओ । बारसमासपमाणो दोसु वि लोएस दुहजणओ ॥ ९६ सोऊण इमं वीरो भणइ मुणिं नाह! सुड्डु अच्छरियं । हासो वि कह णु जाओ" भयवं ! अईंदारुणविवाओ ।। ९७
1 A तस्स । 2 B C अवलंबिय | 3 A पुकारसि । 4 B तरुयर | 5 B C नियय । 6 BCD गोसम्म । 7 B पियाह । 8 C पक्खु । 9 B C चलणेण | 10 BC अहिययरो | 11 B मवि । 12 B सभं । 13 C तस्थ | 14 BC वालं । 15 C य । 16 C तस्थ । 17 BD जाणियं; C जाणाही । 18BD मिमि; C इमिणा । 19 B तं। 20 C महं । 21 B सुब्वयाइ | 22 C हु | 23 C खाएँ । 24 B बज्जयरे । 25 B किं चि; C कम्मं । 26 B कम्म । 27 B इय वीरो *This stanza is not found in A. and D. 29 B कजंतेणं । 30 B वेगेण । 32 B निय। 33B मे; C मह | 34 B पिययमि । 35A य । 36B चिंतंतो। 37 A नेसासा | 38 A होइ । 89 अहवई। 40 B वीर ! सुमुहुत्तं । 41 B तुह । 42 A जाय । 13 B कह ।
।
28 B मुणिवरं । 31 B दद्दू
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