Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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४,९७
१०५०२
७५३ १७५२ १७५३
मात
८४२ ८७०
१७१२२
२,१०५
बालंजुयपव्वाई बालत्ते तारुले बालाणं तरुणाणं बंभाइएहि मणुमाइएहिँ महिलाण बंभणाण महिला गो साणा वि य मुक्खो राया लुन्छो रइ-पुत्तफला भजा राईणं सम्माणं राया समणो मंती लहुईय वि किरियाए वयणं कजविहूर्ण वसणे विहवाभावे सगुणो वि हु भइबहुअं सच्चं चिय लोगाणं सरलो वि कुडिलरूवो सव्वा वि हु परइत्थी सामि मित्तं च गुरुं सावत्तयाण नेहो
प्रणय एकवसिओं सिनेहो किंचूणो वि हु पणओ जाईए भिन्नाण वि जुत्ताजुत्तवियारो दूरमसज्झमकजं निकित्तिमो न नेहो नेहो बंधणमूलं मणइच्छिएण समयं मिहुणाणं किर लोए वरि मा जाओ नेहो
प्रत्यक्षनरक दुकलत्तं दालिई
प्रवज्या आयरिएण समाणं जपंति विद्धमुणिणो सयणपमोए राओ
प्रार्थना अहवा जुत्तमजुत्तं
बुभुक्षा तिक्खेहिं दुक्खेहि
भर्त वरि हलिओ वि हु भत्ता
भाव १,२४३
चिरपब्वज्जा नाणं १,२४४
जइ चित्तं न विसुद्धं १,४८४ १,३२२
इको वि मओ धरिओ
बहुहा खिज्जइ समओ १४४० समओ दोसासंगी ७,९२
महापुरुष ९,१०९
महयाणं चरियाई १०,१९१ १०,३५२ अह धरणो भणइ तयं ७११
उचियं चिय होइ इमं १,२७८ | सुदु वितिन्नाण जओ ९,५०
मान ७.६७ ७;६३
सरिसाण विवंचणयं ८,५७
उइए रविणो बिंबे जइ न वि गहेइ दुक्खं
सोचेव हवइ बंधू १७७२
मन्त्रिन् जइ मंतीण न होतो १७२३२
नइसरिसो रायाणं २,१०१
नत्थे बुद्धीए १७७३
मुनि तेणावि तयं गहियं ४,६६ १७२९१ १७६८ अप्पाणस्स परस्स य
यमराज गब्भत्थं जम्मतं
युवतीप्रियाणि | दुद्धं गडभो दूर २,१२१ १,५०१
राजनीति २,१२२ उवयारेण मारह
कण्णद्धारविहीणं तम्हा निओइएहिं
राज्याङ्गानि १,९४ सामी र? भमच्चो
रूपप्रशंसा १,३९ बाला अबला गामेलया
५:२४
८१८
५,२८
१७७५
१,२४३
८:५५ ८०२१
१,४३३
६.११४
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