Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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सिरीमहेसरसूरिविरइयाओ
[७, ४९-७७ उब्भेऊणं हत्थं पभणइ सल्लो मणेण परितुह्रो । सव्वाण वि लोयाणं पुरओ अइगहिरसद्देणं ॥ ४९ तुच्छे वि हु मणुयत्ते जीविजइ एत्तिएण कजेणं । एवंविहेहि समयं संजोगो जायए जेणं ॥ ५० तेणं चिय सह राया अच्छंतो' चित्तनिव्वुइं लहइ । देइ पसाएण तहा वत्था-हरणाइयं तस्स ॥ ५१ नियगेहासन्ने चिय तस्स गिहं कारियं नरिंदेण । दिन्नाइँ लिहावेउं हय-गय-गामाण वंदाइं॥ ५२ नियमहिलाओं तेणं भणियाओ एस तुम्हे दियरो त्ति । कीलह अणेण समयं मह संकं मा करेजासु ॥५३ अह गन्भेसरिनामाँ नरवइणो अग्गमहिसिया तत्थं । विमलकरप्फासेणं कामासत्ता निवं भणइ ॥ ५४ सामिय ! मज्झ सरीरे रोयं" अइदारुणं समुप्पन्नं । पुरिसाणं न कहिजइ इत्थीणं चेव तं गम्मं ॥ ५५ एगंतठियाएँ मए महिलाहिं संजुयाएँ छम्मासं । तन्नासत्थं किरिया कायद्या अन्नहीं मरणं ॥ ५६ तत्थ ठियाएँ सययं चइयत्वं दंसणं पि पुरिसाणं । तेण तुमं मह गेहं सामिय ! दूरेण वजेजी ॥ ५७ इय वंचिऊण निवई जंतं दारम्मि करिय अइगाढं । विमलं चिय चिंतती सुट्ठयरं कामतविअंगी ॥५८ राईऍ सुरंगाए आणेउं नियघरम्मि तं विमलं । भणइ महं तं नाहो अँजसु मं किं वे बहुएणं ? ॥ ५९ विमलो वि पायवडिओ भणइ तयं मा इमं पयंपेसु । घरिणी सामिस्स तुमं माया इव वंदणिज्जा सि॥ ६० सवा वि हु परइत्थी दवा माय-बहिणिसरिसेह । किं पुण सामि-गुरूणं मित्ताईणं च जा भणियाँ १॥ ६१ सल्लो अणंगतुल्लो पाहिँ वि वल्लहा तुमं तस्स । अहयं च तुम्ह भिच्चो कह सामिणि ! जुज्जए एयं? ॥६२ सामि मित्तं च गुरुं भूणं किविणं च तह य वीससियं । जो दुहइ पावकलिओ सो पावइ नारयं दुक्खं ॥६३ भत्तारवंचयाणं महिलाण वि एत्थ अयसमाईणि । परलोयम्मि य दुक्खं बहुभेयं होइ नियमेणं ॥ ६४ एयं पि मा मुणिजसु गुत्तमकजं न नजए लोए । पंचऽत्थि लोगैंपाला सवं पि हु जेण पेच्छंति ॥ ६५ छक्कन्नं पि हु कजं जायइ लोयम्मि पयडयं नियमा।जं पुण चोद्दसकन्नं कह अन्नायं तयं होजा?॥६६ तम्हा उप्पहपडियं पुणरवि चित्तं करेह सहाणे । पडवह मए माएं ! इय भणिऊणं गओ सिग्धं ॥ ६७ सावि विलक्खा चिंतइ संपइ किं एत्थ होइ कायक्वं?। दोण्ह वि गईण चुक्का कह छम्मासं गमिस्सामि?॥६८ अह सौ कवडसमेया विद्दारइ नियनहेहिं नियदेहं । ठाऊण गेहँदारे पुक्कारई रायपुरिसाण ॥ ६९ धावह धावह सिग्धं देवं बोहेह कहह मह वत्तं । अद्धमुया उव्वरियों सीलेणं" खंडिया अहयं ॥ ७० सोऊण तयं वयणं राया सहस त्ति आगओ तत्थ । दटुं दारियदेहं पुच्छइ केणेयमायरियं ?॥ ७१ कहसु पिए! अईतुरियं तं पुरिसं पावकम्मयं मज्झ । खरकरवालेण अहं तस्स करे छिन्निमो जेणं ॥७२ अह रोविऊण बहुयं जंपइ सा कुणहँ सामि'! एगंतं । संसिज्जई घरकजं न हु पुरओ सबलोयाणं ॥ ७३ एगंतठियस्स तओ पभणइ य अणाउलेण सद्देण । कुलपुत्तिया वि सामिय ! पइपुरओ कहइ दुक्खाइं ॥७४ तुम्ह सयासाओं मए गंतूणं एगइत्थिकलियाए । आढत्ता सा किरिया जीए तं नासए रोगं ॥ ७५ जा सा मह मायसमा नियगेहे पत्थिया सकजेणं । ता राईए सहसा विमलो वि हु आगओ एत्थ ॥ ७६ उवविहो सयणीए में इच्छइ भुंजिउं बला जाव । ताव मए सो भणिओ न हु जुज्जइ एरिसं तुज्रे ॥ ७७
1B भच्चंतो। 2 A°गामाणु। 3 Bवंद्राई। 4 B महिलातो। 5Bदेवरो। GB तुम्ह । 7 BC लीलह । 8C संका। 9 AD करेजाह । 10 B नामो। 11B तस्स। 12 Cरोग। 13 B 'ठियाइ। 14 B संजुयाहिँ। 15 Cइयरहा। 16 B°ट्रियाए। 17 B वजिजा। 18 B चि। 19 Cय। 20Cतई। 21 B माइ। 22 C°सरिसेहिं । 23 BCaणिया। 24 B परलोइयं । 25Bच। 26 B कोय। 27 B कजम्मि । 28 B पायडं। 29 B तं। 30 B कहं। 31 B साए । 32 A D वा। 33 B मेह । 34 B पोक्कारइ। 35 B° पुरिसाणं । 36 A उच्चरिया; C मुवरिया। 37 AD सीलेण अ। 38A D अह । 39 B छिदिमो। 40 B सामि!। 41 B कुणह । 42 A D साहिजइ। 43 AD एत्थि। 44 B माइ। 45 C तत्थ। 46 B तुम्ह।
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