Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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१०, ४११-४३६ ] नाणपंचमीकहाओ-१०. भविस्सयत्तकहा दोन्निविय वद्धमाणां तोसं वटुंति लोयहिययाणं । पावाण काम-अत्था इयराणं धम्म-भोक्खा वा ॥४११ भोत्तूणं चक्कहरो विसयसुहं उत्तमं जहिच्छाए । हियएणं निरहिलासो तक्खणमित्तेण संजाओ ॥ १२ केणावि कारणेणं होइ अ भुक्खा तहेव मरणंता । तह उत्तममणुयाणं विसयासंसा निवत्तेइ॥ १३ दाऊण महादाणं रजम्मि वसुंधरं च ठविऊणं । तणमिव मोत्तूण सिरि गिण्हइ दिक्खं महासत्तो॥१४ संतं पि महापुरिसा मेल्हंति तणं व धम्मबुद्धीए । तुच्छाण असंते वि हु पडिबंधो होइ अहिययरो॥ १५ भुंजंति ताव विसएँ पच्छा मेहंति सव्वहा धन्नों । इयरे पुण पावरया दोण्ह वि लोयाण चुक्कंति ॥ १६ उत्तमसोर्खपसत्ताजे न वि मेल्हंति" विसयसोक्खाई। ताण वि इह सुहियाणं सहलचियदोग्गई होइ॥१७ *विसए य अप्पसोक्खे आसत्ता नेय धम्मकजेसु । वट्ठति महामुक्खा विहल चिय दोग्गई ताण ॥ १८ दिक्खं गए वि तम्मिउ छम्मासं जाव रयणमाईयं । सव्वं ठाइ तह च्चिय पुत्वजियधम्मतेएण ॥ १९ भण्णइ ताण पहुत्तं" जाण परोक्खे वि कजसंसिद्धी । दाढी" पावियलज्जा बहुयाण विवजए जेण ॥ ४२० अह अन्नया कयाई सरए सरए व बहलगंधम्मि । अहियं उम्मायकरे वट्टते सव्वपाणीणं ॥ २१ वायायणे विसाले सुमईऍ समाणयं समासीणो । कुणइ वसुंधरराया सबदिसालोयणं गयणे ॥ २२ धवलियआसा-कासा वहुविहवणराइसोहियपएसा । निम्मलजलठाणाई नरवइचित्तं विणोयंति ॥ २३ मणइ वसुंधरराया बुद्धिवियासो जणम्मि जेणेह । चित्तविणोयणकजे सत्थवियारं तयं करिमो॥ २४
को किर गयमयजणओ ? को वा सोईहिँ गरहिओ अहियं ?।।
को असिहत्थो कुसलो ? को दिवसो धूसरो भणह ? ॥ एगालावयजाई एसो पण्होत्तरो पिए! तत्तो । विहसिय जंपइ सुमई पिययम ! नायं मए सरओ॥ २६ नरवइणा वि य भणियं भिन्नं पण्होत्तरं इमं तुमए । एयं अन्नं भणिमो वत्थसमत्थं च जाईए ॥ २७ को आगासे गच्छइ? किं इहें चक्कवायमिहुणस्स?। को दुक्खाणंदाया मिहुणाणं ? भणे पिएँ ! तत्तो" ॥२८ अह सुमई भणइ इमं एयं पिय ! जाणियं मए विरहो । भणइ वसुंधरराया बिंदुचुययं इमं सुणसु ॥ २९ चिन्तती ओहिदिणं नजइ लिहियाहिँ कुड्डलेहाहिं । गर्यवइया खलु नारी दूराओ आगएहिं पि ॥४३० पभणइ सुमई" हिट्ठा चिंतंती बिंदुओ मए नाओ । संपइ पभणसु सामिय ! अलुगाई निमित्तस्स ॥ ३१ दिवं च अंतरिक्खं भोमं अंगं च सरयवंजणयं । लक्खणपसत्थरूवं भणइ निवो अट्ठ एयाणि ॥३२ एत्थंतरम्मि पेच्छइ आयासे सुगुरम्मयं अब्भं । सेयं गइंदसरिसं नरनाहो उम्मुहो" मुइओ॥ ३३ तक्खणमेत्तेण तओ पेच्छंतस्सेव तस्स नरवइणो । वायनिवायवसेणं खंडविहंडीकओ मेहो ॥ ३४ दद्दूर्णं तयं" राया निक्विन्नो सुटु कामभोएसु । पभणई नियरिणीं सो एवं कंते ! चलं सयलं ॥ ३५ अथिरे विहवाईए जे"थिरबुद्धिं करेंति गयनाणा । ते मायण्हियतोयं पिबंति तिसिया जहिच्छाए ॥ ४३६
1 B दुन्नि । 2 C it is not found in this Ms. 3 B it is not found in this Ms. 4 A य वट्टमाणा; BC पवमाणा। 5 B लोअ6 A D मोक्खं। 7 A D च । 8 B हिअएण। 9 A°दानं । 10 BC असंतेस। 11 BCit is not found in these Mss. 12 B भोए। 13 B मिलंति। 14A धम्मा। 15 B दुण्ह । 16 B सुक्ख। 17 B मिल्लंति। 18 B तान । 19 B दुग्गई। * In B this quarter is thus found:-जे विय विसयपसत्ता; and im Cas under:-जे वि य विसयासोक्खे । 20 B दुग्गई। 21 AD विहुत्तं । 22C दाढिय । 23 BC सरय । 24C वढतो। 25 C तइया । 26 C मत्थ। 27 B वियसिय । 28 B सुमुई। 29 Cहु। 30 Cवच्छ । 31Cसमच्छं । 32 B व। 33 Bायासे । 34 C दुक्खीणं । 35-36-37 B को पि वाति तओ? 38-39Cलेहाहिँ कुडलिहियाहिं। 40 B गई । 41 B मुमुई । 42 C °वत्थुस । 43 C एयाई । 44 A उम्महो। 45 B मित्तेण । 46 C द₹णं । 47 C तं । 48 B भणह। 49 B नियं। 50Cघरिणिं । 51A जं। 52 Bअनाणा।
नाणपं० १०
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