Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 111
________________ सिरीमहेसरसूरीविरइयाओ [५, ९७ - १२१ सोऊण इमं वयणं विमलमणो कित्तिवद्धणो भीओ। निंदइ निरु अप्पाणं लजा-दयपरिगओ अहियं ॥ ९७ कामासत्तेण मए आढत्तं उभयलोयदुक्खयरं । कमलाएँ निच्छएणं तं न कयं पुन्नजोएणं ॥ ९८ अह उट्ठिऊण तत्तो कमलं गोत्तीहराओ नीणेउं । खामेइ चलणपडिओ अइनिरु महुरेहिँ वयणेहिं ॥ ९९ अद्दट्टवो पावो अहयं लोयम्मि निदिओ धहो । तुज्झ अपावाएँ कयं वसणं अइदारुणं जेण ॥ १०० तं चेव मज्झ बंधू धम्मायरिओ य एत्थ नियमेण । वट्टन्तो य अकजे जेणाहं वारिओं तइया ॥ १ अकरितो वि हु लछि वयणं अइनिहुरं पि बोलेंतो' । पावाओं नियत्तंतो तत्तेणं बंधवो भणिओ॥ २ बहिणि ! पसाएण तुमं रोसं रइवल्लहस्स अवणेजा । वच्चामि तुज्झ नयरे अहमेव तुमाएँ परिकलिओ॥ ३ भरिऊणं वहणाई"रयणाईणं महग्घमोल्लाणं"। कमलाएँ समं चलिओ गिरिनयरनराहिवो सहसा ॥ ४ रइवल्लहो वि रुहो नासत्थं कित्तिवद्धणनिवस्स । सामंतचक्ककलिओ चलिओ सहस त्ति नयराओ"॥ ५ एत्थंतरम्मि पत्तो कमलाए लेहवाहओ तत्थं । पडिहारेण निउत्तो" पविसइ रइवल्लहसमीवे ॥ ६ पणमियँ सो वि हु निवइं लेहं अप्पेइ कमललिहियं च । राया वि सयं गिण्हिय तं वायइ सुट्ठ परितुट्ठो॥ ७ सिरिकमलाए हियए पणमिय रइवलहं महारायं"। रयणायरमज्झाओ कमला विन्नत्तियं कुणइ॥ ८ अक्खयसीलसरीरीं तुम्ह पसाएण सामि ! अच्छामि । हिययहिएण तुमए जेण सणाही अहं सामि"!॥ ९ भाया वि मज्झ सामिय ! आगच्छइ कित्तिवद्धणो नाम । तुह चलणदंसणत्थं गुणगणकलिओ महासत्तो ॥ ११० चिंतिइ राया विमणे पेच्छह कमलाएँ सीलमाहप्पं । सत्तू वि मैंझ मित्तो जाओ जेणं अकिच्छेणं ॥ १ वद्धाविओ य राया उत्तिन्ना कित्तिवद्धणसमेया। कमला बहुजणकलियाँ रयणायरतीरदेसम्मि ॥ २ सुह विभूईऍ तओ गंतूणं कित्तिवद्धणं राया । कमलाएँ समं पेसइ नियनयरे हरिसिओं" रम्मे ॥ ३ रंयणाइयं च सई अप्पेउं कित्तिवद्धणो तस्स । पडिवजाविय सेवं अच्छेउं कइवयदिणाई॥ ४ कयसम्माणो गच्छइ नियनयरे सह बलेण संतुट्ठो” । रइवलहो वि भुंजइ कमलाएँ समं महाभोए॥ ५ पुत्तम्मि तओ जाए जोग्गे जणवल्लहम्मि गुणकलिए । दाऊण तस्स रज्जं पूर्व काउंजिणिंदाणं ॥ ६ दाऊण दाणमउलं खामित्ता सबलोयसंघायं । चंदणसूरिसमीवे सुहलग्गे महँविमूईए ॥ ७ गिण्हंति दोवि दिक्खं नर-नारिजणेण संजुया पच्छौं । मोत्तूण विसयतण्डं मुत्तिसुहाकंखिणो निचं ॥ ८ अज्जा य नंद णामा कमलाएँ पवित्तिणी सुहा दिन्ना । विहरंति अणिस्साए गामा-ऽगर-नगर-माईसु॥९ नाणम्मि दंसणम्मि य चरणम्मि तवम्मितहे थे विरियम्मि । पइदियहं वटुंता कुणंति ते आयरं परमं ॥१२० दहूण ताण चरियं सोऊणं पंचमीऍ माहप्पं । बहुयाण वि" जिणधम्मे सुहृयरं आयरो जाओ" ॥१२१ 1 B गुत्ती । 2 C नीणेइ। 3 B°वडिओ। 4 B लोएण। 5 C 'धारिओ। 6A लच्छी। 7C बोलंतो। 8 A नियत्तेतो। 9 C अवणेज। 10C भरिऊण। 11C पवहणाई। 12 B°मुल्लाई। 13 Cogurati 14 C it is not found in this Ms. 15 C this word is followed by नीसरिओ। 16 C एत्थ । 17 B नियत्तो। 18 C पणविय। 19C महाराय । 20 B अक्खंडियवरसीला । 21 A D अणाहा। 22 A D इत्थ। * B जेण मेत्तो एयाऍ पहावओ जाओ। 23 B °सहिया। 1B पत्ता स्यडायरन डम्मि। 24 B गओ। 25 B ०३द्धणो। 26 B°नयरं। 27 B पमुइओ; C पेसिओ। 28 Bाया। B रयणाई पाहुडाइं ढोएउं। 29 C रयणाईयं । 80C it is not found in this Ms. 31 A D संजुत्तो। 32 B जोगे। 33 B काऊण य। 34 B जिणाणं । 35 B काऊण। 36 B वर; Cमहा। 37 B°गणेण । 38 B पावा। 39 A °यर। 40A नयर 41-43 B बीरिए तह य । 44 B बहुयाणं। 45 B it is missing in this Ms. 46 B जातो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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