Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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३६
सिरीमहेसरसूरिविरइयाओ
[ ५, ४४ - ७०
५०
कमलजुयं गयखं पविसंतं सह बलेण कयसोहं । कमलाजुत्तं व हरिं पेच्छइ रइवलहं' लोओ ॥ ४४ बाला तरुणा विद्ध पुरिसा अहँ इत्थिओ य नयरस्स । निव - कमलदंसणत्थं चडंति उच्चुच्चठाणेसु ॥ ४५ पुरिसा थुणंति रायं इत्थीओ पयडमेवं कमलं च । भज्जा - कंतफलेणं अणन्नसरिसेण परितुट्टा || ४६ अन्ना सही ये जंपइ वत्था ऽऽहरणेहिँ बहिणि ! चंगत्तं । जइ मज्झ ताइँ होज्जा ता एसा पायधूलि त्ति ॥ ४७ एयं पभणइ अन्ना को किर लोयाण एत्थ कोडो' त्ति ? । नियभत्तारसणाहा इयरा वि हु सोहए महिला ॥ ४८ लजा विनत्थि हियए एयाएँ एगआसणगयाए । जइ किर खज्जइ मंसं ता बज्झइ किं गले हड्डुं ? ॥ ४९ एक्का सहीण पुरओ जंपइ वयणं सुपेसलं पयडं" । सवं पि हु धम्मफलं जं दीसइ उत्तमं किं पि ॥ ता जइ इच्छह एयं कुणह पयत्तेण धम्मकजाई । कोडे हलफैलिया न हु बज्झइ पोट्टले कोडुं ॥ ५१ इय बहुभेयालावे" जाए लोयाणं तत्र्थं नयरम्मि । पविसइ * कमलासहिओ राया। रज्जं च पालेइ ॥ ५२ रइवल्लह-कमलाणं जं सोक्खं तत्थ विसयनिरयाणं । तं जइ मुणंति ते श्चिय किं बहुणा एत्थ भणिएण ? ॥ ५३ विसयसुहं" पसुईदुहं पढमसवत्तीण जाइँ दुक्खाई । ताइँ न जंति कहेउं हियएण परं धरिति ॥ ५४ गिरिनयरे रायसुओ नामेणं कित्तिवद्धणो तइया । अहियं इत्थीलोलो कमलाए सुणिय गुणनियरं ॥ ५५ जोगंधरनियमित्तं" लज्जं मोत्तूण भणइ एगंते । जइ कमलाऍ न संगो ता महे मरणं फुडे" जाणं ॥ ५६ जोगंधरेण भणियं दुविहा मित्तेह होंति जुवईओ । काओ पइवयाओ अन्नाओ सहजणियाओ ॥ ५७ जइ सा पइवयकलिया ता निष्फलमेव तीऍ आणयणं । पइवइयाओ" जेणं" जीयं पि चयंति न हु सीलं ॥ ५८ अह कित्तिवद्धणं भणियं जोगंधरस्स वयणं तु । आणयणं तव उचियं सेसं मह चेव आयत्तं ॥ ५९ अन्नदियहम्मि कमला सुत्ता रयणीऍ मज्झसमयम्मि । जोगंधरेण नाउं आणीया झत्ति गिरिनयरे ॥ ६० भूमीहरम्मि छन्ने सयणीए ठाविऊण तं" कमलं । जोगंधरो ससंको तओ पएसाओं निक्खंतो ॥ जेण सईओ मुणिणो जोगिण - देवा य सुटु रोसवियाँ ।
६१
६२
वाहिं अहव उमायं (अहवुम्मायं) मरणं व झत्ति कुब्वंति ॥ सयणीयवत्थकलियं मंगलआहरणधारिणि " तह य । सो कित्तिवद्धणनिवो कमलं दट्ठूण चिंतेइ ॥ ६३ एवंविहा वि एसा चित्तं कामीण हरइ वरमहिला । भूसियदेहा नूणं तियसाण वि देजै उम्मायं ॥ ६४ जइ एवं चिय एसा भुंजिज्जइ नत्थि कामनिस्संदो" । उभयाणुरायकलिओ कामो किर वन्निओ सत्थे ॥ ६५ hot हाम्मीसो पंचपयारेहिँ संजुओ रम्मो । सो खलु कामो भणिओ अन्नो पुण रासहो कामो ॥ ६६ तम्हा बोहिय एयं चित्तं रंजेमि महुरवयणेहिं । जेण महं संजायइ इमीऍ सह उत्तमो कामो ॥ ६७ इय चिंतिऊण जंपइ कमले ! उट्ठेह नियह मह वयणं । तुज्झाहं" देवेहिं दिन्नो भत्तारबुद्धीए ॥ ६८ अह कमला उट्टे दहूणं कित्तििवद्धणं सहसा । चिंतइ सज्झसभरियाँ किं एयं मज्झ संजायं ? ॥ ६९ अन्नं गेहं सयणं अन्नो चिय एस दीसए पुरिसो | कहें मज्झ अउन्नाए कम्मविवागो इमो जाओ ? ॥ ७०
1 B रद्दवल्लहो । 2 C बुड्ढा । 3C तह | 4 C (5) उच्चस्थ । 5 A पयडमे; C पयडतो य । 6 B°ऍ। 7 B कोड; C कोडं । 8 A एया । 9 B बाला । 10 B वयणं । 11 A कोट्टेण; B C कोडेन । 12 B C हल्ल° । 13 A C कोडं । 14 A भेयपयारे; C भैयपलावे । 15 B को इलम्मि । 16 C एस्थ । * The following is thus found in C :- कमलाराया, नियगेहे सुठु रम्मम्मि ॥ + The following is thus found in B: नीसेस सुहजणओ ॥ 17 A तत्थ । (स) व° । 20 B सोहगं । 21AC मित्तो । 22 B it is नितुलं | 24 B मज्झ । 25-26 B अहवा पतिव्वयाओ । 27 B सं 28 B रूसविया । 29 C मा । 30 A धारणं । 31 B देह | 32 C नीदो । 33 A सत्थो । 34 A कम्मो । SD This st. is not found in this Ms. 35A मेयं । 36 A तुज्झोहं । 37 B हिपमा । 38 A अह ।
18 A° सुह । 19 A पसूइ° B पसू not found in this Ms. 23 B
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