Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 101
________________ २८ सिरीमहेसरसूरिविरइयाओ [ ३, ८७ - ११५ 1 ताहि वि सवं कहियं जं जहवत्तं कमेण जणयाणं । मन्नंति ते वि अप्पं सकयत्थं धूयजणणे' वि ॥ ८७ धूया विगुणसमेया पुत्तो पुत्तफलाई कुणमाणां । जो श्चिय वालइ गावी सो चेव य अज्जुणो होइ ॥ ८८ दहूणं कन्नाओ पंचमिफलसंजुयाओं लोयाणं । जाओ एस वियप्पो पलहुयकम्माण हिययम्मि || ८९ धम्मफले पच्चक्खे तह वि हु माणंतरं जणो वहइ । हत्थठियं कंकणयं को भण जोएइ आरिसएं ? ॥ ९० इय निच्छिचितेहिं गहिया सिरिपंचमी य बहुएहिं । गंतुं जिणिंदभवणे गुरुपामूलम्मि भत्तीए ॥ ९१ तत्थेव य नयरीए रायसुओ सुंदरो त्ति नामेणं । सेट्ठिसुओ वि य कमलो तेर्सि दिन्नाओं कन्नाओ ॥ ९२ अणुवम-वररूवाओ विसयसुहं उत्तमं पर्भुजंति । दाणं देंति मुणीणं पूयंति जिनिंदबिंबाई ॥ ९३ पडिपुन्नम्मि वयम् उ उज्जमणं' तह कयं तहिं ताहिं । जह लोयाणं जाओ अणुराओ सुटु धम्मम्मि ॥ ९४ सुंदर महिला पढमा नाऊणं सुंदरं जयारत्तं । तं किं पि करेई जोयं जेण जया गहिलिया जाया ॥ ९५ धावइ वलई पलोई बाहिं नीसरइ देइ अहिखेवं । गायइ रोयेई नच्चईं कुणेई गुरूणं पि निंदणयं ॥ ९६ भदा दट्ठू इमं चिंतs अइदुक्खिएण हियएणं । मह उवयाररयाए कह जायं दारुणं वसणं ? ॥ ९७ उवयारे उवयारो ववहारो चेव एत्थ लोयम्मि । सो वि महं न वि जाओ जयविसए पावकम्माए ॥ ९८ मह उवयारकरणं मरणं पि जयाऍ कंखियं तइया । तह वि अहं निल्लज्जा किं पि उवायं न चिंतेमि ॥ ९९ अह संभरियं तीए वयणं जक्खस्स चिंतमाणीए । अहवा वसणगएहिं" सुमरिजइ दुक्खनासणओ ॥ १०० हाया सुक्किलवसणा पूयं काऊण तस्स जक्खस्स । भद्दा सयणम्मि ठिया पुरओ तस्सेव भूमीए ॥ १ तइयदि रयणीए जक्खो सहस त्ति निम्मलसरीरो । आगंतुं" भणइ इमं भद्दे ! हं कीस संभरिओ ? ॥ २ भद्दाऍ तस्स कहियं सव्वं पि तयं जयाऍ वित्तंतं । भणिओ य कुणसु सामिय! जयाऍ गहमोक्खणं झत्ति ॥ ३ ती सवत्तीऍ तओ गहिलत्तं लाइऊण सो जक्खो । आणइ जयं सत्थं तम्मि पएसम्मि सहसति ॥ ४ अह देइ ताण तुट्ठो दोह वि मणिजुवलयं " गुणविसिहं" । जेण न पहवई किंचि वि" जं दुद्वं एथेँ संसारे॥ ५ ॥ ८ वह जामि अयं तुम्ह भयं नत्थि एत्थ नियमेणं । अहवा धम्मजुयाणं कह णु भयं होइ लोयाणं ? ॥ ६ जक्खे गयम्मि संते भणइ जया भद्दसम्मुहं वयणं । सहि ! मज्झकए तुमए मित्तत्तं पयडियं" अज ॥ ७ इयरह गहगहिया हं नृणं मरिऊण पावसंजुत्ता । जिणधम्मपोयरहिया संसारे बुड्डिआ आसि अह जायम्मि पहाए लोओ दहूण ताण तं चरियं । अहियं निच्छयैमइओ धम्मम्मि पयट्टए सुहु ॥ ९ काले ये संजाया ताणं धूयाओं तह य पुत्ता य । कजाइँ वि जायाइं संसारिय हिययहरणाई ॥ ११० कारावियाइँ बहुहा चेइयभवणाइँ सुरु रम्माई | साहम्मियाण दाणं दिन्नं च जहिच्छियं ताहिं ॥ ११ पोत्थाण लिहावणयं आगमसंबद्धयाण भावेणं । पूयं उज्जवणं" चिय बहुभेयं त वि" निम्मवियं ॥ १२ जं जं कुणंति ताओ तं तं लोओ वि मग्गओ कुणइ । अहवा विहवजुयाणं सवो वि हु लग्गए मग्गे ॥ १३ महयाणं चरियाई होंति पमाणाइँ जेण इयराणं । तेणं चिय महएहिं सुहमग्गे चेव ठायां ॥ १४ जह जह वयपरिहाणी तह तह धम्मम्मि ताण अइतित्ती | अहवा वयपरिणामे धम्मो चिय जुज्जए काउं ११५ 34 6AB 1 A जम्मंमि । 2 BD कुणमाणी । 3 B गावो । 4 C दण चि । 5 A अयरिसो । निच्छय । 7 B वयम्मि; C वयम्मी । 8Aय । 9 C उज्जवणं । 10 A कयं । 11 A चलइ । 12 B पुलोहह । 13 A अक्खेवं । 14 A नच्चइ | 15 A रोवइ । 16 A करइ | 17 B इत्थ । 18 A गए । 19 A आगंतु । 20 C जुयलयं । 21 A अणग्धेयं; C विसुद्धं । 22 A हवइ; D पावइ । 23-24 A विरूयं । 25 Aकिं पि । 26 A पयडिअं । 27 A नित्थिय । 28 A कालेणं । 29 A 31BD उज्जमणं । 32-33 A नवर; B तह य । it is missing in this Ms. 30B कजाइ । 34B असित्ती । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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