Book Title: Gyanpanchami Katha Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith MumbaiPage 41
________________ १२ पंचमी काओ इ० स०नी दशमी शताब्दिमां थयो होवो जोइए एम डॉ. याकोबी धारे छे. दलाल - गुणे संपादित 'भविस्सयत्त कहा' नी प्रस्तावनामां डॉ. गुणे कहे छे के धनपाल प्रयुक्त अपभ्रंश हेमचंद्र उदाहृत अपभ्रंश करतां, रूपवैविध्य अने नियमशैथिल्यने कारणे प्राचीन देखाय छे. जे समये अपभ्रंश भाषा बोलाती बंध नहि थई होय ते वखते धनपाले 'भविष्यदत्त कथा' लखी होवी जोइए. धनपाळना समयमां बोलाती अपभ्रंश भाषाने हेमचंद्र उदाहृत अपभ्रंशनुं स्वरूप पामतां ओछामां ओछी बे सदी लागी हशे एम कल्पी डॉ. गुणे धनपाळने हेमचंद्र करतां बे सदी वहेलो एटले के इ० स० नी दशमी सदीमां मुके छे. ५ डॉ. याकोबीए धनपाल कविनो वहेलामां वहेलो समय इ० स०नी दसमी सदीनो स्थिर कर्यो छे तेमां, अने डॉ. गुणेए-जो बीजी दलील द्वारा नियत करेला धनपाळ कविना तेना तेज समयमां, मारे लगभग एकभी सवा सदीनो - उमेरो करवानो छे अर्थात् स्वतंत्र दलील योजी धनपाल कविने अगीआरमी सदीना लगभग अन्तभागमां मुकवानो आ लेखमां मारो आशय छे. ते स्वतंत्र दलील आ छे. महेश्वरसूरि रचित 'नागपंचमी कहा' वांच्या पछी अने खास करीने ते कथानुं छेल्लं अने दसमुं आख्यान के जेनुं नाम भविष्यदत्त आख्यान छे ते वांच्या पछी तेमज तेने धनपाल कवि रचित 'भविस्सयत्त कहा' साथै बराबर सरखाव्या बाद, मारो एवो दृढ अभिप्राय थयो छे के धनपाल कविए पोतानी कथानुं वस्तु महेश्वरसूरि रचित 'नाणपंचमी कहां'तर्गत दसमा अने छेल्ला भविष्यदत्त आख्यानमांथी लीधुं छे. कळानी दृष्टिए धनपाळे वर्णनविस्तार जरूर कर्यो छे पण वस्तुमौलिकतानो यश तो महेश्वरसूरिने फाळे ज जाय छे, भविष्यदत्त आख्यान नो अने धनपाळ रचित 'भविस्सयत्त कहा 'नो सारांश में नीचे प्रमाणे आप्यो छे अने त्यार बाद ए बन्ने वच्चेना समान अने असमान तत्त्वोने तपासी धनपाल कविने में महेश्वरसूरिना उत्तरकालीन तरीके एटले के इ० स०नी अगीयारमी सदीना प्रान्त भागमां - मुकेल छे. कारण के महेश्वरसूरि रचित 'नाणपंचमी कहा 'नी प्राचीनमां प्राचीन उपलब्ध ताडपत्रीय प्रतिनो लेखन संवत् इ० स० १०५३ ( वि० सं० ११०९ ) होवानुं मालुम पड्युं छे ते आपणे जोइ गया. आ उपरथी महेश्वरसूरिनो कार्यकाळ दसमी सदीनी छेल्ली पच्चीसी अने अगीआरमी सदीनी प्रथम पच्चीसीनो ठरे. अने एटले एमनी अने धनपाळनी बच्चे पचास वर्षनुं अंतर कल्पीए तो आपणे आगळ जोई गया तेम, धनपाळनो कार्यकाळ अगीआरमी सदीनो प्रान्तभाग अथवा बारमी सदीनो आरंभकाळ सिद्ध थाय. भविष्यदत्त आख्याननो सारांश. दक्षिण भरतखंडने विषे कुरु नामनो देश हतो. तेमां गजपुर नामनुं एक सुंदर शहेर हतुं. ए नगरमां कौरववंशीय भूपाळ नामनो राजा राज्य करतो हतो. त्यां धनपति नामनो एक वैभवशाळी वणिक् रहेतो हतो. तेने कमलश्री नामनी श्री जेवी एक पत्नी हती. समय जतां तेने भविष्यदत्त नामना एक पुत्ररत्ननी प्राप्ति थई ( गाथा १ - २५ ). समाधिगुप्त नामना मुनिवरेन्द्र तरफ गतजन्ममां बतावेली दुगंछाथी धनपतिने कमलश्री तरफ अभाव उत्पन्न थयो अने तेने तेना पीयेर काढी मूकी. भविष्यदत्त पण माता पासे गयो. तेने जोई माता कमल श्री बोली के 'पुत्र ! तारे तारा पिताने छोडीने अहिं आत्रवुं जोईतुं न हतुं.' भविष्यदत्ते प्रत्युत्तर आयो के ' माता ! आवुं वचन बोलवु तने योग्य नथी' कारण के 'जणणी विरहे जम्हा जणओ खलु पित्तिओ होइ' ( दसमुं आख्यान, गाथा ३८ ) ए शहेरमां वरदत्त नामे एक माणस रहेतो हतो ७५ जुओ उपर्युक्त दलाल-गुणे संपादित 'भविष्यदत्त कथा' नी प्रस्तावना, पृ.४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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