Book Title: Gyanpanchami Katha
Author(s): Maheshwarsuri, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 51
________________ २२ नाणपंचमीकहाओ विशेष नामो वच्चे भेद भविष्यदत्त आख्यानमां, वरदत्त (सरूपानो पिता), सुतारा ( भूपाळ राजानी पुत्री), जयानंद मुनि, सुगुप्तमंत्र मंत्री, सुकेशी, रत्नशेखर, हेमंगळ, वसुंधर अने वज्रसेन इत्यादि विशेष नामोनो उल्लेख छे; ज्यारे भविष्यदत्त कथामां ए नामो माटे अनुक्रमे धनदत्त, सुमित्रा, जयनंदन, विमलमंत्री, सुकेशा, श्रीधर, हेमंजय, सुवसुंधर अने वज्रोदरनो प्रयोग करायेलो छे. अर्थनी दृष्टिए खास फेर लागतो नथी. तेमां सुकेशी-सुकेशा, हेमंगळ - हेमंजय, वसुंधर - सुवसुंधर तो लहिआओनी भूलो पण होवी संभवे छे. कोई कोई ठेकाणे एक ज विशेष नामने बदले बीजो मळतो शब्द पण गोठवी देवामां आव्यो छे. दा. त. हरिबल (प्रथम संधि) ने माटे हरिदत्त आगळ कथामां वपरायो छे ज्यारे भविष्यदत्त आख्यानमां तिवेई (त्रिवेदी) माटे संतिमई शब्द योजवामा आव्यो छे. ते माटे जुओ अनुक्रमे गाथा नं. २७४ तथा २५२ (दसमुं आख्यान ). कोई वखत पर्यायवाची शब्द पण लेवामां आवेल छे. दा. त. अरिपुरनो राजा प्रभंजन हतो एम भविष्यदत्त आख्यानमां छे ज्यारे भविष्यदत्त कथामां मरुत् शब्दनो प्रयोग करायेलो छे. आ संबंधमां पाठांतरोनी पसंदगीमां विवेकबुद्धि वापरवानी केटली जरूर पडे छे तेनो एक दाखलो अहिं नोंधु तो ते अस्थाने नहि गणाय. प्रभंजन नामनो प्रयोग भविष्यदत्त आख्यानमां जे गाथामां करेलो छे ते गाथा नीचे प्रमाणे छे : "तत्थ पभंजणनामो राया लोयाण जणियपरिओसो। मंती वि वजसेणो तस्स य भज्जा य सिरिकता" ॥ १।३२७ ॥ याकोबी संपादित भविष्यदत्त कथामां नीचे प्रमाणे पाठ छे : तहिं नरवइवरु नामु महोयरु धर महएवि मंति वजोयरु । अहिया वरु शब्द माटे याकोबीए मरु शब्दने पाठांतर तरीके पादनोंधमां लीधो छे. आ गाथा ओगणीसमी संधिना बीजा कडवकमां आवे छे. दलाल -गुणे संपादित भविष्यदत्त कथामां नरवइ मरुनामु ए प्रमाणे शब्दो लीघेल छे. पण डॉ. गुणे राजाना नाम तरीके तो 'महोयरु' शब्दने ज ले छे अने 'मरुनामु' ए शब्दनो कशो अर्थ पोतानी नोट्समां आपता नथी. एटले के ए शब्द एमने समजायो नथी ए चोकस छे. डॉ. याकोबीए स्थिर करेल पाठ भविष्यदत्त आख्यानवाळी गाथा आपणी सामे न होय तो जरा पण खोटो नथी; उलटो सुयोग्य लागे छे. पण भविष्यदत्त आख्यानवाळी उपर्युक्त गाथा यांच्या पछी आपणे राजाना नाम तरीके 'मरुत्' शब्द लेवो जोइए. अने 'महोदर' ने मोटा उदरवालो ए अर्थमां एना विशेषण तरीके लेवू जोइए. वधारानां विशेष नामो भविष्यदत्त आख्यानमां निम्नोक्त नामो वधारानां छे एटले के भविष्यदत्त कथामां ए वपरायां नथी. वरदत्तनी स्त्री अने सरूपानी माता मनोरमा, भवदत्त अने नागसेना (भविष्यानुरूपाना पिता, माता), कांपिल्यपुरनो राजा नंद, गंधर्वनो राजा गंधर्वसेन अने तेनी स्त्री गांधारी, वसुंधरनी स्त्री सुमती तेम ज तेना पुत्रो श्रीवर्धन तथा नंदिवर्धन इत्यादि. ज्यारे भविष्यदत्त कथामां नीचे लखेल विशेष नामो एवां छे के जे भविष्यदत्त आख्यानमां वपरायां नथी. कमलश्रीनो पिता हरिबल के हरिदत्त, जयलक्ष्मी अने चंद्रलेखा, कांचनमाला चित्रांग, प्रियसुंदरी, पृथुमति, लोहजंघ, अनन्तपाळ, हरिपति, पर्वतपति, अभिनंदन, क्षुल्लक, रोहिणी, कनकप्रभ, सूर्यप्रभ, चंद्रराशि, तारा, सुतारा, गुणमाला इत्यादि इत्यादि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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