Book Title: Atmavilas
Author(s): Atmanandji Maharaj
Publisher: Shraddha Sahitya Niketan

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Page 16
________________ ries in Sanskrit. The rendering of the origi. nal "Slokas" of the Gita into simple Hindi and the Lucid disperations given by Swamij, will certainly help to popularise the great teachings of Lord Krishna the gospel of Truth and Karam which has moved many a' time the infldels to the depth of their very souls (६ 'ट्रीब्यून' लाहौर ता० १० जनवरी सं० १६४४ कर्म क्या है और किम स्थलपर मनुष्यका इमसे निस्तार हो सकता है ? 'मुक्ति', 'वन्धन', 'योग', 'जान', 'श्रानन्द' और 'माया' क्या हैं ? विश्व कैसे उत्पन्न हुआ ? ये तथा अन्य बहुतसे गीता-दर्शनसे सम्बन्धित प्रश्न बड़े रहस्यके साथ इस ग्रन्थ की विशाल प्रस्तावनामे, जो 300 पृष्ठमे है, प्रत्येक अध्यायका सूचम विश्लेषण करते हुए लाभदायक व्याख्याके साथ हल किये गये हैं। यह कहना न्यायसंगत ही होगा कि अनेक कठिन विषय एक सरल भाषामें ममझाये गये हैं, जोकि साधारण पाठकके समझमे आनेयोग्य हैं, जिनको लक्ष्य करके ही यह पुस्तक लिखी गई है । गीताके असली श्लोकोंका हिन्दीमै सरल अनुवाद तथा स्पष्ट विवरण जो स्वामीजीके द्वारा दिया गया है वह निश्चयसे भगवान् श्रीकृष्णके महान् उपदेशके प्रचारमे सहायक होगा, जोकि 'सत्य' व 'कर्म का सन्देश है और जिसने नास्तिकोंके भी हृदयतलको हिला दिया है। 17 HINDUSTAN TIMES Monday January 10 1944.

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