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अनेकान्त/54-1
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कहलाया। कालिदास ने भी अभिज्ञानशाकुंतल में दुष्यन्त के पुत्र के नाम पर भारत नहीं लिखा।
श्री अग्रवाल ने "भारत की मौलिक एकता' (पृ. 21-26-27) में अग्नि और अन्य व्युत्पत्ति संबंधी भूल कर बैठे थे किंतु बाद में अपनी भूल को उन्होंने सुधार लिया।
अंततोगत्वा सम्यक् विचार के बाद श्री अग्रवाल ने यह मत व्यक्त किया-"ऋषभनाथ के चरित का उल्लेख श्रीमद्भागवत में भी विस्तार से आता है और यह सोचने पर बाध्य होना पड़ता है कि इसका कारण क्या रहा होगा। भागवत में ही इस बात का भी उल्लेख है कि महायोगी भरत ऋषभ के शत पुत्रों में ज्येष्ठ थे और उन्हीं से दह देश भारतवर्ष कहलाया
येषां खलु महायोगी भरतो ज्येष्ठः श्रेष्ठगुण आसीत्। येनेदं वर्ष भारतमिति व्यपदिशन्ति॥ भागवत 5/4/9।"
(श्री अग्रवाल लिखित प्राक्कथन, जैन साहित्य का इतिहास-पूर्वपीठिका, लेखक पं. कैलाशचन्द)
ऋषभ-पुत्र भरत के नाम पर भारत के लिए वैदिक पुराण यथा । मार्कण्डेय 2 कूर्म 3 अग्नि 4 वायु 5 गरुड 6 ब्रह्मांड 7 वाराह 8 लिंग 9 विष्णु 10 स्कंद आदि और भी पुराण देखे जा सकते हैं। इनमें से कोई भी पुराण वैदिक भरत-वंश से भारतवर्ष नाम की व्युत्पत्ति नहीं बताता है। ___“पुराण-विमर्श' नामक अपनी पुस्तक में पुराण संबंधी समस्याओं का महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करने वाले प्रसिद्ध विद्वान् स्व. बलदेव उपाध्याय का मत उद्धृत करना उचित होगा। उनका कथन है-"भारतवर्ष इस देश का नाम क्यों पड़ा इस विषय में पुराणों के कथन प्रायः एक समान हैं। केवल मत्स्यपुराण ने इस नाम की निरुक्ति के विषय में एक नया राग अलापा है। भरत से ही भरत बना है। परन्तु भरत कौन था? इस विषय में मत्स्य (पुराण) ने मनुष्यों के आदिम जनक मनु को ही प्रजाओं के भरत और रक्षण के कारण भरत की संज्ञा दी है -
भरणात् प्रजानाच्यैव मनुर्भरत उच्यते। निरुक्तवचनेश्चैव वर्ष तद् भरतं स्मृतम्॥ मत्स्य 11415-6।
"प्रतीत होता है कि यह प्राचीन निरुक्ति के ऊपर किसी अवांतर युग की निरुक्ति का आरोप है। प्राचीन निरुक्ति के अनुसार स्वायंभुव के पुत्र थे CatacacaesesexesssesecasOSOSORasacs