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अनेकान्त/54/3-4
दिया जहाँ 30 अगस्त 1569 को शहजादे सलीम (जहांगीर) का जन्म सीकरी में हुआ। दूसरा पुत्र मुरादमी 1570 में सीकरी में पैदा हुआ। शेख साहब का आशीर्वाद व कृपा मानकर उसने आगरा को अशुभ जानकर तथा शेख सलीम जहाँ निवास करता था उसे शुभ और मंगलकारी मानकर एक नवीन नगर के निर्माण के रूप में सीकरी का विकास किया और सीकरी को अपनी राजधानी बनाया। सन् 1569 से 1584 तथा 15 वर्ष की अल्पकाल तक राजधानी रही। अकबर के राज्य में राजधानी सीकरी होने के कारण अनेकों महल, भव्य इमारतों का निर्माण कार्य 1957 से शुरू होकर तथा 6-7 वर्ष तक चला। राजधानी सीकरी में 13 सरकारें जिले तथा 203 परगने थे। आगरा का क्षेत्र 1864 वर्ग मील था। अकबर द्वारा बनाये गये भव्य भवन उस समय की अपनी भव्यता को मूक शब्दों में आज भी कहते हैं। मुगल सम्राट अकबर पर जैन धर्म का प्रभाव :
जैन संत अपने आचार-विचार एवं चरित्र शुद्धता के कारण विश्व में जाने जाते हैं। समय समय पर अनेकों राजाओं को विभिन्न जैन संतों से प्रतिबोध पाकर अपने जीवन को धन्य ही नहीं किया, बल्कि जनहित में ऐसे कार्य भी किये हैं जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गये हैं। मुगल काल में आचार्य हरिविजय सूरी उपाध्याय, संगम सुन्दर, शान्ति चन्द्रजी, कल्याण सागर सूरि आदि अनेकों मुनियों ने मुगल बादशाहों पर अपना प्रभाव डालकर उनका जीवन परिवर्तित कर जैन धर्म की प्रभावना की है। इनका वर्णन जगद्गुरु काव्य नामक ग्रन्थ में मिलता है। एक दिवस अकबर सम्राट् अपने राजमहल की छत पर बैठा था उसने राजमार्ग की ओर देखा कि एक महिला पालकी में बैठकर गाजे-बाजे तथा सैकड़ों श्रद्धालुओं के जय-जयकार के साथ जिन मन्दिर की ओर जा रही है। जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि इस महिला ने 6 महीने का उपवास किया है केवल रात्रि के पूर्व गर्म जल लेती है इसके 5 माह व्यतीत हो गये हैं तथा आज जैन समाज का कोई विशेष पर्व होने के कारण मंदिर में पूजा-अर्चना करने हेतु जा रही है तथा इस महिला का नाम चम्पा बहिन है। सम्राट् को विश्वास नहीं हुआ। यद्यपि उसका तेज मुख मुद्रा को देखकर तपस्या, कठोर साधना के विषय में काफी कुछ सत्यता प्रतीत होती थी। फिर भी; इसकी परीक्षा करनी चाहिये। इस विचार से राजा ने एक