Book Title: Anekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 223
________________ अनेकान्त/54/3-4 है। इसमे प्रमाणित होता है कि यह क्षेत्र काफी भव्य था जिस स्थान पर सरस्वती की मूर्ति मिली है वहाँ बहुत भव्य विशाल जैन मन्दिर होगा। ऐसी प्रतिमा विशाल भव्य जिन मन्दिरों में ही विराजमान की जाती है। यहाँ की गुफाओं में रंगीन शैल चित्र विद्यमान हैं महाभारत में सीकरी का उल्लेख शौक के नाम से मिलता है। शौक का अर्थ जल से घिरा क्षेत्र होता है यहाँ एक बहुत बड़ी झील थी। उत्खनन से प्राप्त सरस्वती की प्रतिमा पर लिखे लेख में सीकरी का नाम सैकरिक्य है। प्रतिमा पर लिखे श्लोक से ज्ञात होता है सीकरी एक भव्य विशाल प्राचीन नगरी थी तथा यहाँ विशाल जैन मन्दिर थे। यहाँ मानव निवास का प्रमाण भी मिलता है। मध्य युगीन शहर सीकरी भारत की साझी संस्कृति का प्रतीक है। खोजबीन ने यह पाया है कि भारत का कोई शहर स्मारकों की दृष्टि से इतना अमीर नहीं है जितना सीकरी है। यह क्षेत्र जैन संस्कृति एवं मन्दिरों का प्रमुख गढ़ है। सीकरी में 92 स्मारको का समूह था। भारतीय इतिहास में सीकरी अपनी अद्वितीय विशेषताओं के लिये प्रसिद्ध था इसलिये यूनेस्को ने विश्व के प्रमुख स्मारकों की श्रेणी मे सीकरी को रखा है। सीकरी का विनाश एवं पतन : महान् आत्माओं की स्मृति में राजाओं, धनी व्यापारियों तथा जन सामान्य ने अपनी श्रद्धा व सामर्थ्य के अनुसार सीकरी नगर में तथा आसपास अनेको स्मारक जैन मन्दिर, मठ आदि का 10वीं सदी तक समय-समय पर निर्माण करवाये थे। 11वीं सदी में बर्बर विदेशी आक्रमणों से वे प्राचीन मन्दिर ध्वस्त होकर टीले के रूप में परिवर्तित हो गये। सन् 1126 तथा 1136 में महमूद गजनवी ने आगरा तथा सीकरी पर आक्रमण किया। मन्दिरों को तहस-नहस किया; उनको ढहा दिया गया और मूर्ति के साथ क्रूरता से पेश आया गया। उनको सिर से अलग कर मुख को नष्ट कर दिया गया। सीकरी नगरी को उजाड़ दिया गया। जैन मूर्तियों को टूटी अवस्था में एक गड्ढे में दबाकर दीवार खड़ी कर दी गयी। इसके बाद 13वीं सदी में अलाउद्दीन खिलजी भी सीकरी आया उसने भी मन्दिरों को नष्ट किया। महमूद गजनवी ने तो आगरा सीकरी में कत्लेआम भी किया और उजाड़ कर तुच्छ गांव के रूप में छोड़ गया।

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