Book Title: Anekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Author(s): Jaikumar Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 221
________________ 80 अनेकान्त/54/3-4 हेरिटेज सिटी होगा तथा पर्यटकों का प्रवाह ताजमहल से भी अधिक प्रभावकारी होगा। जिस प्रकार रोम और पोम्मई हेरिटेज सिटी है उसी तरह दुनिया के लोग सीकरी देखने आया करेंगे। सीकरी का प्राचीन वैभव : सीकरी क्षेत्र पुरातात्विक सर्वेक्षण के आधार पर ई.पू. 15वीं और 12वीं शताब्दी पूर्व की अपने वैभव की कहानी बता रहा है। यह मत वहाँ से प्राप्त धूसर भॉड, वहाँ उपलब्ध प्राकृतिक मानव गुफाओं में चित्रित है। ईसा की प्रथम शताब्दी, सम्राट कनिष्क के काल में सीकरी थी। कुषाणकाल की ब्राह्मी लिपि का एक अवशेष भी सीकरी के निकट किरावली क्षेत्र से प्राप्त हुआ है तथा गंधार शैली की मूर्तियाँ तथा अबिंका की मूर्ति भी प्राप्त हुई हैं। चौथी सदी की गुप्त काल की मिट्टी की दीवार और मूर्तियाँ भी उत्खनन से प्राप्त हुई हैं। शिला लेखों के आधार पर यह सिद्ध होता है कि ईसा की प्रथम से चौथी शताब्दी में भी फतेहपुर सीकरी एक समृद्धशाली तथा वैभव सम्पन्न नगरी थी। सन् 1871-72 में भी कई क्षेत्रों की खुदाई में प्राचीन प्रतिमाएं मिली थीं। सम्भव है कि उन दिनों आगरा कलात्मक मूर्तियाँ बनाने का केन्द्र रहा हो। आगरा गजेटियर सन् 1884 पृष्ठ 482-83 में उल्लेख करते हुए लिखा है कि सीकरी क्षेत्र बहुत प्राचीन था तथा इसको सन् 815 ई. में चन्द्रराज ने सीकरी को बसाया था। सीकरी पर सिकरवार (शिखरवार) जैन तथा राजपूत राजाओ का प्रभुत्त्व था इस क्षेत्र में हिन्दू व जैन मन्दिर के भग्नावशेष आज भी बताये जाते हैं। राजपूत काल के मन्दिरों के खम्भों व विष्णु के चक्र आदि के अवशेष अब भी उपलब्ध बताये जाते हैं। 10वीं सदी में सीकरी का नाम सैंकरिक्य-जैन आचार्यों की बस्ती थी ___ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा फतेहपुर सीकरी में विगत कुछ पूर्व खुदाई करवाई गयी थी, उनसे जो मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं तथा उन पर लिखा हुआ शिलालेख संस्कृत भाषा में है। 10वीं शताब्दी की संस्कृत भाषा व्याकरण शाब्दिक दृष्टि से कमजोर थी। कई शब्द अपभ्रंश के थे लेकिन इनका प्राचीन भारतीय इतिहास शोध परिषद्, नई दिल्ली के डॉ. विरजानंद तथा डॉ. देवकरण जी ने संयुक्त रूप से अनुवाद किया है। डॉ. देवकरण जी प्राचीन पांडुलिपियो

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