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अनेकान्त/54/3-4
जैन संस्कृति सम्पन्न भव्य प्राचीन केन्द्र फतेहपुर सीकरी
___ - सुरेशचन्द्र बारोलिया उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति का आदि स्रोत रहा है। यहीं पर भारतीय संस्कृति और सभ्यता की नींव रखी है। यहाँ पर श्रमण जैन धर्म की स्थापना हुई और अहिंसा का प्रथम उद्घोषणा हुई। मानव सभ्यता की आधार शिला यहीं रखी गयी समाज कल्याण, राज व्यवस्था, विवाह व्यवस्था, धर्म व्यवस्था , का आरम्भ यहीं से हुआ, यह लिपि और विधाओं के आविष्कार का केन्द्र बिन्दु रहा है। उत्तर प्रदेश जनपद का आगरा प्रमुख जैन केन्द्र है। आगरा के आस-पास नगरों ग्रामों, कस्बों में जैन मूर्तियाँ हैं। तीर्थक्षेत्रों तथा अतिशय क्षेत्रों के अलावा यहाँ किसी समय जैनियों की अच्छी बस्ती थी। आज उनमें से कुछ तो समय की गति के साथ ही जन शून्य स्थानों के रूप में परिवर्तित हो गये हैं तथा कहीं-कहीं पर उनके स्मारक ही शेष रह गये हैं। वर्तमान में जैन पुरातत्व की बहुत ही वस्तुयें जो खुदाई में प्राप्त हो रही हैं उनके शिला लेख, ताम्रपत्र, प्रतिमाएँ आदि अब भी अवशिष्ट खण्डहरों में उनके पूर्व वैभव का स्मरण करा रही है। आज ये ध्वंशावशेष समाज के विद्वानों का ध्यान उनके पुरातत्व के उद्घाटन व इतिहास के संकल्प की ओर आकृष्ट कर रहे हैं। आज न जाने कितने ऐसे स्थान होंगे जिनके ऐतिहासिक विवरण समय की काली चादर में लिपटे हुये पृथ्वी पर सिमटे पड़े होंगे। न जाने धरती के गर्भ मे कौन-कौन से रहस्य छिपे हुये हैं।
अभी कुछ माह पूर्व आगरा जनपद से 36 किलोमीटर दूरी पर पुरातत्व विभाग द्वारा फतेहपुर सीकरी में वीर छबीले टीले पर खुदाई के दौरान भूगर्भ से अनेकों मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। उत्खनन में जहाँ महत्वपूर्ण कड़ियाँ जुड़ रही हैं वहीं आने वाली पीढ़ी के लिये नये इतिहास का सृजन हो रहा है। उत्खनन से प्राप्त सामग्री के आधार पर अनुमान है कि फतेहपुर सीकरी देश का पहला