________________
%%
अनेकान्त/53-2 %% %%% %% %% %% %% %%%%% % वन्दना गीत श्री सम्मेद शिखरजी
पूज्य शिखर सम्मेद हमारा। सब मिल कर बोलें जयकारा॥ यह अनादि से तीर्थ इसी पर। न्योछावर तन-मन-धन सारा ॥ पूज्य शिखर सम्मेद हमारा। सब मिल कर बोलें जयकारा॥ बीस श्रमणपथ के तीर्थंकर। मुक्त हुए हैं इस पर्वत पर । अगणित मुनिगण तप धारण कर। सिद्ध हुए सब कर्म खपा कर ॥ पाप मिटे दर्शन से सारा। पूज्य शिखर सम्मेद हमारा॥ - 1 जो यात्री वन्दन को जाते। असुर भीतरी दूर भगाते॥ उनके सब संकट कट जाते। वे सब मनवांछित फल पाते ॥ तिर्यंच गति न मिले दुबारा। पूज्य शिखर सम्मेद हमारा ।। - 2 नंगे पैरों, शुद्ध भाव से। वन्दन करते सभी चाव से॥ गणधर टोंक करो आराधन। जिनवाणी जी के प्रभाव से॥ मोक्ष-मार्ग का खुलता द्वारा। पूज्य शिखर सम्मेद हमारा ॥ - 3 भव्य-जीव ही दर्शन करते। चरणों का प्रक्षालन करते॥ चलते सिद्धों के चिन्हों पर। पूजन करते अर्चन करते॥ जन्म मरण से हो छुटकारा। पूज्य शिखर सम्मेद हमारा ॥ - 4 स्वाध्याय से ज्ञान बढ़ायें। निज-पर की पहचान बनायें। करें तपस्या कर्म नशायें। निश्चित ही जिनवर पद पायें। पाप मिटें, मन हो उजियारा। पूज्य शिखर सम्मेद हमारा॥ - 5 आओ! मिलकर जायें सब जन। करें समेद शिखर के दर्शन ॥ भक्तिभाव से ध्यान लगायें। पद-चिन्हों का करके वन्दन ।। 'सुभाष शकुन' का हो निस्तारा। पूज्य शिखर सम्मेद हमारा॥ - 6 % %% %% %%% %%% %%% %%% % %%% %