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अनेकान्त/53-27
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कीर्तन सम्मेद शिखर जी
सब मिलके आज जय कहो सम्मेद शिखर जी की मस्तक झुकाके जय कहो सम्मेद शिखर जी की
कर्मों का नाश होता है वन्दन से तीर्थ के पूजा सदा करते रहो सम्मेद शिखर जी की सब मिलके आज जय को सम्मेद शिखर जी की। मस्तक...
ज्ञानी बनो, दानी बनो, बलवान भी बनो भक्ति करो और जय कहो सम्मेद शिखर जी की सब मिलके आज जय कहो सम्मेद शिखर जी की। मस्तक...
होकर स्वतंत्र क्षेत्र की रक्षा सदा करो निर्भय बनो और जय कहो सम्मेद शिखर जी की सब मिलके आज जय कहो सम्मेद शिखर जी की। मस्तक...
जिन-धर्म ने दिखा दिया है लक्ष्य मुक्ति का हर टोंक का वन्दन करो सम्मेद शिखर जी की सब मिलके आज जय कहो सम्मेद शिखर जी की। मस्तक..
तज कर कषाय दश धर्म का पालन सदा करो संयम धरो और जय कहो सम्मेद शिखर जी की सब मिलके आज जय कहो सम्मेद शिखर जी की। मस्तक...
जिनराज के पद-छाप का अनुसरन सदा करो मिलकर अमर कथा कहो सम्मेद शिखर जी की सब मिलके आज जय कहो सम्मेद शिखर जी की। मस्तक...
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