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इस अंक में
1. जीव। तृ अनादि ही तै भूल्यौ शिव-गैलवा 2. आर्यिका, आर्यिका है मुनि नहीं
- रतनलाल बैनाड़ा 3. भक्तामर स्तोत्र की मनोवैज्ञानिक भूमिका
-डॉ. जयकुमार जैन
समय-शाह
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-- जस्टिस एम एल जेन 5. सम्यक्त्व और चारित्र - किसका कितना महत्त्व 38
-शिवचरण लाल जैन 6 आचार्य नेमिचन्द्र द्वारा प्रतिपादित पदस्थ ध्यान 48
- डॉ. सूरजमुखी जैन 7. आदिपुराण में लोक-सस्कृति
- राजमल जेन | 8. जेन परम्परा में सृष्टि-सरचना
- डॉ. कमलेश कुमार जैन
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