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53/3 अनेकान्त/62
अधोलोक में एक के नीचे दूसरी और दूसरी के नीचे तीसरी-इस प्रकार क्रमशः नीचे-नीचे रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पङ्कप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा और महातमःप्रभा नामक सात नरक भूमिया हैं। ये नाम उन-उन भूमियों की कान्ति के आधार पर यौगिक नाम हैं। इनके रूढ़ि नाम तो क्रमशः धम्मा, वंशा, मेघा अंजना, अरिष्टा, मघवी और माघवी है। इन सात नरक भूमियों के नीचे निगोद है।
ऊर्ध्वलोक में सर्वप्रथम सोलह स्वर्ग हैं। सर्वप्रथम दायें-बायें एक साथ प्रथम और द्वितीय स्वर्ग हैं। पुनः इन दो स्वर्गो के ऊपर तीसरे और चौथे स्वर्ग हैं। इसी प्रकार ऊपर-ऊपर पाँचवें और छठे आदि आठ युगल अर्थात सोलह स्वर्ग हैं, जिनके नाम हैं-सौधर्म-ऐशान, सानत्कुमार-माहेन्द्र, ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर, लान्तव-कापिष्ठ, शुक्र-महाशुक्र, शतार-सहस्रार, आनत-प्राणत और धारण-अच्युत। इन सोलह स्वर्गो के कुल बारह इन्द्र (राजा) हैं। प्रथम दो युगलों अर्थात् सौधर्म-ऐशान और सानत्कुमार-माहेन्द्र इन चार स्वर्गों में प्रत्येक के एक-एक अर्थात् चार स्वर्गो के चार इन्द्र हैं। तदनन्तर तीसरे, चौथे, पाँचवें एवं छठे युगलों (अर्थात् पाँचवें से बारहवें स्वर्ग तक) में प्रत्येक युगल के एक-एक अर्थात् चार इन्द्र और शेष सातवें एवं आठवें युगलों (अर्थात् तेरहवें से सोलहवें स्वर्ग तक) के प्रत्येक स्वर्ग के एक-एक अर्थात् चार इन्द्र-इस प्रकार सोलह स्वर्गों के कुल बारह इन्द्र हैं। इन सोलह स्वर्गों के ऊपर-ऊपर क्रमशः पहले नौ ग्रैवेयक, पुनः नौ अनुदिश, तदनन्तर विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थसिद्धि नामक विमान हैं। इसके पश्चात् सबसे ऊपर मनुष्यलोक प्रमाण पैंतालीस लाख योजन समतल अर्द्धचन्द्राकार सिद्धशिला है, जिस पर सम्पूर्ण कर्मों का नाश करने वाले अनन्तानन्त सिद्ध भगवान् विराजमान हैं।
इन तीन लोकों के चारों ओर घनोदधि-वातवलव, बनवातवलय और तनु वातवलय हैं, जो क्रमशः सघन जल और वायु, सघन वायु एवं हल्की वायु के वलय अर्थात् घेरे हैं। यही तीनों वलय तीनों लोकों के आधार हैं और तीनों वलयों का आधार अलोकाकाश है तथा अलोकाकाश अपने ही सहारे अर्थात् स्व-प्रतिष्ठित है।
इस प्रकार अधोलोक, मध्यलोक एवं ऊर्ध्वलोक में विभाजित तीन लोकों का वर्णन जैनशास्त्रों में मिलता है, जो लोकाकाश के रूप में जाने जाते हैं। . यह लोकाकाश ही वस्तुतः जैन-परम्परा के अनुसार सृष्टि का ढाँचा या कलेवर है। यह सृष्टि-संरचना अनादिकालीन है और अनंतकाल तक रहेगी।