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अनेकान्त/53-2 %% %% %% %% %%%% % %%%% %
शिखरजी ट्रस्ट का गठन भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बई देश के सभी दिगम्बर तीर्थों के विकास हेतु अनुदान देने के अलावा कई तीर्थो पर चल रहे मुकदमों की पैरवी भी करती है। गत सौ वर्षों से शिखरजी के मुकदमे भी यही कमेटी लड़ रही है। सभी तीर्थों की अपनी प्रबन्ध कमेटी होती है। समाज के कई महानुभावों की जिज्ञासा थी कि शिखरजी तीर्थ की अलग से कोई प्रबंध कमेटी क्यों नहीं है? शिखरजी में तेरह पंथी और बीस पंथी कोठी केवल यात्रियों के आवास का प्रबन्ध करती हैं। सम्मेदाचल विकास समिति चौपड़ा कुण्ड के मन्दिर की व्यवस्था करती है। शिखरजी पर्वतराज के प्रबन्ध व सुरक्षा का दायित्व उनका नहीं है। समाज के कई महानुभावों की इच्छा थी कि शिखरजी के लिए दिया गया उनका दान केवल शिखरजी के लिए ही काम आना चाहिए अन्य कामों में नहीं। कमेटी में इस पर विचार चल ही रहा था कि संयोग से कमेटी के अध्यक्ष व सदस्यों को प०पू० आचार्यश्री विद्यासागरजी के दर्शनों का सौभाग्य मिला। महाराजश्री ने पलक झपकते ही समस्या का निदान कर दिया। उनके मार्ग दर्शन के अनुसार शिखरजी ट्रस्ट की योजना बनी और आचार्यश्री द्वारा दिये गये नाम श्री दिगम्बर जैन शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर टूस्ट' का गठन हो गया। ट्रस्ट केवल शिखरजी की सुरक्षा और विकास में ही धन का उपयोग करता है अन्य कार्यों में नहीं। यह ट्रस्ट समूचे दिगम्बर जैन समाज के सहयोग से संचालित है। ट्रस्ट को दिया गया दान आयकर की धारा 80जी के अन्तर्गत करमुक्त है। ट्रस्ट के आय-व्यय का ब्यौरा तीर्थक्षेत्र कमेटी की मासिक पत्रिका 'तीर्थवंदना' में प्रकाशित होता है
और यह पत्रिका सभी सदस्यों को भेजी जाती है। ट्रस्ट में दान की कोई भी राशि सहर्ष स्वीकार की जाती है किन्तु कोई भी दिगम्बर जैन 'महिला या पुरुष' ट्रस्ट का सदस्य बन सकता है। सदस्यता शुल्क इस प्रकार है :
1. आजीवन सदस्यता-जो 5,100/- रुपए दान करे या कराए। 2. विशिष्ट सदस्यता-जो 25,000/- रुपए दान करे या कराए। %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%