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'अनेकान्त/53-2
43 % %%%%% %%% %% %%%%%% %%% % ताकि शिखरजी का विकास हो। किन्तु मूर्तिपूजक श्वेताम्बरों ने इसका विरोध कर कार्य रुकवा दिया।
मई 1994 को साहू अशोक कुमार जैन के आह्वान पर समूचे देश से लाखों की संख्या में एकत्र होकर दिगम्बर जैन समाज की दिल्ली में एक अभूतपूर्व विशाल रैली निकाली गई। यह एक ऐतिहासिक रैली थी। इस रैली के फलस्वरूप दिगम्बर समाज में गजब की चेतना आई। रैली ने एक ज्ञापन गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किया। किन्तु श्वेताम्बरी मूर्तिपूजक समाज के नेताओं की हठधर्मी के कारण अध्यादेश बिहार सरकार को वापिस करा दिया गया।
साहू अशोक कुमार जैन के मार्गदर्शन में डॉ. डी.के. जैन ने शिखरजी मुकदमों की बारीकी से छान-बीन की। पटना हाईकोर्ट की रांची बैंच में मुकदमे की सुनवाई आरम्भ हुई। हमारे आचार्यों, मुनियों व आर्यिकाओं के आशीर्वाद, विद्वानों के सहयोग व डॉ. डी.के. जैन की समर्पण भावना और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आर.के. जैन की पैरवी से 1.7.99 को रांची हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्री पी.के. देव के निर्णय के अनुसार दिगम्बरों के अधिकारों की रक्षा हुई। वर्तमान में उक्त निर्णय के विरुद्ध श्वेताम्बरी मूर्तिपूजकों की अपील रांची हाईकोर्ट में डिवीजन बैंच के समक्ष विचाराधीन है। फैसला कुछ भी हो मामला सुप्रीम कोर्ट में जाना ही है।
उपरोक्त तथ्यों से एक बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि बाब चम्पतराय जैन, बाबू अजितप्रसाद जैन व साहू अशोक कुमार जैन आदि सभी दिगम्बरी नेता दोनों पक्षों में समझौते के पक्षधर रहे हैं।
सम्मेद शिखरजी आन्दोलन समिति के आह्वान पर आज समूचा दिगम्बर जैन समाज एक जुट हो गया है। हमें अपनी एकता कायम रखनी है। शिखरजी ही नहीं, हमारे अन्य कई तीर्थों पर विवाद चल रहे हैं। समय रहते यदि दिगम्बर समाज सक्रिय न रहा तो हम अपने तीर्थों से वंचित हो जायेंगे। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने पूर्वजों की तरह भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, हीरा बाग सी.पी. टैंक, मुम्बई-400004 के हाथ मजबूत करें। हम अपनी एकता और समर्पण भावना से ही अपने तीर्थों की रक्षा में सक्षम होंगे।
महासचिव, वीर सेवा मंदिर %%%%%%%%%%% %%%%%%%%% %%%