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अनेकान्त / 53-2
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आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का संदेश
"शिखरजी की सुरक्षा व विकास समाज का प्रथम कर्त्तव्य" "पंचकल्याणकों एवं विधानों की बचत - राशि शिखरजी की दी जाए।"
17 फरवरी 2000, करेली, जिला - नरसिंहपुर (म.प्र.) में पंचकल्याणक के अवसर पर आयोजित एक विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने समाज का आह्वान किया कि “समूचे देश में विद्यमान हमारे सभी तीर्थों की रक्षा और विकास में तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान चौबीसी के बीस तीर्थंकर शिखरजी से मोक्ष गए हैं। वहां उन सभी के निर्वाण स्थलों पर उनके चरण-चिन्ह प्रतिष्ठित हैं। इसलिए शिखरजी जैन धर्म की मूल धरोहर है। शिखरजी की सुरक्षा और विकास करना जैन मात्र का प्रथम कर्त्तव्य है। अपनी सामर्थ्य के
अनुसार सभी को सहयोग करना आवश्यक है। देश में जहां कहीं भी पंचकल्याणक अथवा विधान समारोह आयोजित हों उनकी बचत राशि श्री दिगम्बर जैन शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर ट्रस्ट को दी जाए। समाज का यह सहयोग अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
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महाराजश्री के उद्बोधन से प्रभावित होकर करेली पंचकल्याणक कमेटी ने बची राशि शिखरजी ट्रस्ट को देने की घोषणा की।
इसी प्रकार छिन्दवाड़ा की पंचकल्याणक कमेटी ने भी आचार्यश्री के मार्गदर्शन के आलोक में वां सम्पन्न पंचकल्याणक महोत्सव (12-16 मार्च 2000) की बचत - राशि शिखरजी को देने की घोषणा की है।
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