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तीर्थ हमारा
ऊंचे ऊंचे शिखरो वाला है ये तीर्थ हमारा तीरथ हमारा प्राणों से प्यारा ऊंचे ऊंचे शिखरों वाला है ये तीर्थ हमारा पर्वत ऊपर बरसे रे अमृत की धारा
ऊंचे ऊंचे शिखरों वाला है ये तीर्थ हमारा
अनेकान्त / 53-2'
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जिनराजों के पद चिन्हों पर
भक्ति भाव से शीश झुकाकर
निर्मल होती जाती है पंकिल जीवन की धारा - ऊंचे ऊंचे .......
अगणित मुनिगण ध्यान लगाकर
सिद्ध हुए सब कर्म नसा कर
पूजन-वन्दन से खुल जाता है मुक्ति मार्ग का द्वारा - ऊंचे ऊंचे
तीर्थकर के उपदेशों को
गणधर ने समझाया सबको
जिनवाणी में धर्म-कर्म का मर्म छिपा है सारा - ऊंचे ऊंचे ......
जो यात्री दर्शन करते हैं
उनके सब संकट कटते हैं
सहज भाव से हो जाता है जीवन का निस्तारा - ऊंचे ऊंचे .......
इस सम्मेद शिखर पर आकर
सब टोंकों पर धोक लगाकर
जन्म-मरण के भव-बंधन से मिलता है छुटकारा - ऊंचे ऊंचे .......
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