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अनेकान्त/53-2 5 5 % %%%%%% % % %%% % % छप्पय हैं। इनमें तीन छप्पय में सम्मेद गिरि की वन्दना और प्रशंसा अत्यन्त भावपूर्ण शब्दों में की है। बीस तीर्थंकरों के अतिरिक्त अनेक मुनिजन यहां तपस्या करके और कर्मों का नाश करके मुक्ति पधारे हैं। ऐसे कुछ मुनियों का वर्णन पुराण और कथा-ग्रन्थों में उपलब्ध होता है। __ 'उत्तरपुराण' (48-129-137) में सगर चक्रवर्ती का प्रेरक जीवन-चरित्र दिया गया है। जब मणिकंतु देव ने अपने पूर्वभव की मित्रता को ध्यान में रखकर सगर चक्रवर्ती को आत्म-कल्याण की प्रेरणा देने के लिए उसके साठ हजार पुत्रों के अकाल मरण का शोक समाचार सुनाया तो चक्रवर्ती को सुनते ही संसार से वैराग्य हो गया और भगीरथ को राज्य देकर उसने मुनि-दीक्षा ले ली। उधर देव ने उन साठ हजार पुत्रों को उनके पिता द्वारा मुनि-दीक्षा लेने का समाचार जा सुनाया। उस समाचार को सुनकर उन सबने भी मुनि व्रत धारण कर लिया और तपस्या करने लगे। अन्त में सम्मेद शिखर से उन्होंने मुक्ति प्राप्त की। सम्मेद शिखर पर मन्दिरों के निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भट्टारक ज्ञानकीर्ति ने 'यशोधर चरित' की रचना संवत् 1659 में की थी। इस ग्रन्थ की प्रशस्ति में राजा मानसिंह के मन्त्री नानू का नामोल्लेख करते हुए सम्मेद शिखर पर बीस मन्दिरों के निर्माण का उल्लेख है। चम्पा नगरी के निकटवर्ती अकबरपुर गांव में महाराज मानसिंह हैं, जिन्होंने वैरियों का दमन किया है और बड़े-बड़े राजाओं से अपने चरणों में मस्तक झुकवाया है। उनके महामन्त्री का नाम नानू है। उन्होंने सम्मेद शिखर के ऊपर वहां से सिद्ध गति को प्राप्त करने वाले बीस तीर्थकरों के मन्दिरों का निर्माण कराया, जैसे प्रथम चक्रवर्ती भरत ने अष्टापद के ऊपर मन्दिरों का निर्माण कराया था और उनकी कई बार यात्राएं की थीं।
उस राजा मानसिंह के एक अधिकारी गोधा गोत्रीय रूपचन्द खण्डेलवाल थे। वह महान् पुण्यात्मा, यात्रा आदि शुभकर्म करने वाला और अत्यन्त धनाढ्य व्यापारी था। वह महान् दाता, गुणज्ञ, जिनपूजन में रत रहने वाला था। वह धन में कुबेर को, स्वरूप में कामदेव को, प्रताप में सूर्य को. सौम्यता में चन्द्रमा को, ऐश्वर्य में इन्द्र को तिरस्कृत करता था। उसका पुत्र नानू था। वह राजा के समान था और अपने वंश का शिरोमणि था।
तीर्थकर भगवान जिस स्थान से मुक्त हुए, उस स्थान पर सौधर्मेन्द्र ने चिन्ह स्वरूप स्वस्तिक बना दिया, दिगम्बर परम्परा में इस प्रकार की मान्यता प्रचलित 步步步步步步步步步%%%%%%%%%%%%%%%