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अनेकान्त/53-2 %%%% % % %% / % %%%%% %%%
सम्मेद शिखर की यात्रा के सन्दर्भ में संघ सहित मुनि अरविन्द का चरित्र 'उत्तर पुराण' में मिलता है। पोदनपुर नगर के राजा अरविन्द थे। उनके नगर में वेदों का विशिष्ट विद्वान् विश्वभूति ब्राह्मण रहता था। उसके दो पुत्र थे-कमठ
और मरुभूति । मरुभूति महाराज अरविन्द का मन्त्री था। वह अत्यन्त सदाचारी, विवेकी और नीतिपरायण भद्र व्यक्ति था। इसके विपरीत कमठ दुराचारी और दुष्ट प्रकृति का था। एक बार मरुभूति की स्त्री वसुन्धरी के कारण उत्तेजित होकर कमठ ने मरुभूति की हत्या कर दी। मरुभूति मरकर मलय देश में कुब्जक नामक सल्लकी के भयानक वन में हाथी हुआ। राजा अरविन्द ने किसी समय विरक्त होकर राजपाट छोड़ दिया और दिगम्बर मुनि-दीक्षा धारण कर ली। एक बार वे संघ के साथ सम्मेद शिखर की वन्दना के लिए जा रहे थे। चलते-चलते वे उसी वन में पहुंचे। सामायिक का समय हो जाने से वे प्रतिमायोग धारण कर विराजमान हो गये। इतने में घूमता-फिरता वह मदोन्मत्त हाथी उधर ही आ निकला और मुनिराज को देखते ही वह उन्हें मारने दौड़ा। किन्तु मुनिराज के पास आते ही वह शान्त हो गया। उसकी दृष्टि मुनिराज की छाती के वत्स लांछन पर पड़ी। वह टकटकी लगाकर उस चिन्ह को देखता रहा। उसे देखकर उसके मन में अनजाने ही मुनि के प्रति प्रेम उमड़ने लगा। सामायिक समाप्त होने पर मुनिराज ने आंखें खोली । वे अवधिज्ञानी थे। उन्होंने अपने अवधिज्ञान से जानकर हाथी को उपदेश दिया और कहा-"गजराज ! पूर्वजन्म में तू मेरा अमात्यं मरुभूति था। आज तू इस निकृष्ट तिर्यच योनि में पड़ा हुआ है। तू कषाय छोड़कर आत्म-कल्याण कर।" मुनिराज का उपदेश गजराज के हृदय में पैठ गया। उसने अणुव्रतों का नियम ले लिया। जीवन सात्त्विक बन गया। यही हाथी का जीव आगे जाकर कठोर साधना से तेईसवां तीर्थकर बना। अस्तु!
मुनिराज अरविन्द संघ सहित आगे बढ़ गये और सम्मेद शिखर पहुंचकर उन्होंने भक्तिभाव सहित उसकी वन्दना की। उन्होंने मोह का क्षय कर घातिया कर्मो का नाश कर केवल ज्ञान प्राप्त किया तथा वहीं से मोक्ष प्राप्त किया।
कवि महाचन्द्र ने अपभ्रंश भाषा के 'संतिणाह चरिउ' (रचना काल सं. 1587) में सारंग साहू का परिचय देते हुए उनकी सम्मेद शिखर यात्रा का वर्णन किया है कि भोजराज के पुत्र ज्ञानचन्द की पत्नी का नाम 'सउराजही' था जो
अनेक गुणों से विभूषित थी। उनके तीन पुत्र हुए। पहला पुत्र सारंग साहू था, जिसने सम्मेद शिखर की यात्रा की थी। उसकी पत्नी का नाम 'तिलाकाही' था। %% %% %%% % %%%% %% %% %%%%%