________________
23
अनेकान्त/53-2 % %% % %%% % % % %%%
श्री सम्मेद शिखर की आरती आरती श्री सम्मेद शिखर की। विज विनाशी श्री गिरवर की। मुक्त हुए जो उन सिद्धों के, पद चिन्हों की, तीर्थंकर की अगणित मुनिराजों के तप की, जैन धर्म की, धर्म-प्रवर की करें आरती श्री गणधर की, वाणी समझाई जिनवर की - आरती श्री... ज्ञान कूट पर कुंथु नाथ को, मित्र कूट पर नमीनाथ की नाट्य कूट पर अरहनाथ की, संवल कूट पर मल्लिनाथ की पूजें संकुल कूट जहां से, मुक्ति हुई श्रेयाँस प्रवर की - आरती श्री... सुप्रभ कूट पर पुष्पदंत जी, मोहन कूट पद्मप्रभु वंदित निर्जर कूट पुजें मुनिसुव्रत, ललित कूट चन्दा प्रभु पूजित विद्युत कूट तपस्थलि पावन, श्री शीतल जी तीर्थंकर की - आरती श्री... स्वयंभू कूट पर अनंत नाथ जी, धवल कूट श्री संभव वन्दन धर्मनाथ जी कूट सुदत्ता, आनन्द कूट पुजें अभिनन्दन अविचल कूट पर सुमतिनाथ की, मोक्ष गए प्रभु सिद्धेश्वर की - आरती श्री... शान्ति कूट पर शान्तिनाथ की, कूट प्रभाष सुपार्श्वनाथ की कूट सुवीर विमल की आरति, सिद्ध कूट पर अजित नाथ की स्वर्ण कूट पर पार्श्वनाथ की, पर्वत के कण-कण पत्थर की - आरती श्री... श्री जिनवर के पद-चिन्हों पर, नमन करें हम शीश झुकाकर सब पूजित कूटों पर जाकर, जिनवाणी में ध्यान लगाकर दिव्य दीप से आरति करते, अंधकार में सूर्य प्रखर की - आरती श्री... जो यह आरति करें करावें, निज जीवन में संयम लावें वे सब मन-वांछित फल पावें, उनके भव-बंधन कट जावें अंत समय मुक्ती पद पावें, साध हो पूरी जीवन भर की - आरती श्री... %% %%% % %%%% % %%% %%% %