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महाराज प्रशोक और जनधर्म
१०६ के अनुसार, जैनधर्म के चिह्न प्राप्त हए", जिनसे (Modern Review मार्च १६४६ पृ० २२) के अनुसार सिद्ध है कि विदेशो में अशोक ने बौद्ध धर्म का नहीं, बल्कि मित्र से भारतीय शैली की मूर्तियां प्राप्त हुई। मिस्र। जैनधर्म का ही प्रचार कराया। बौद्ध-धर्म के विशेषज्ञ निवासी जैन धर्म के समान ईश्वर को जग का कर्ता नही एम० विल भी जनरल रायल एशियाटिक सोसायटी भाग मानते। मास मछली तो क्या, मूली प्रादि कन्द भी नहीं १६ के पृ० ४२० पर इस कथन की पुष्टि करते है। खाते । महावीर स्मृति ग्रंथ (अमरा) १६४८ भा० १ प्रसिद्ध विद्वान बैन के अनुसार यूनान से कोई बौद्ध चिह्न पृ० ११४ के अनुसार अशोक ने विदेशों में जैन धर्म का प्राप्त नहीं हुआ। मंथिक सोसायटी के जरनल भाग १७ प्रचार किया। पृ०२७२ पर अशोक के विदेशों में जैनधर्म के प्रचार का प्रशोक द्वारा जैन धर्म की प्रभावना: कथन है। 'राज तरगिणी' मे वर्णन है कि अशोक ने अशोक ने जैन धर्म की प्रभावना के इतने अधिक कश्मीर में जैन धर्म का प्रचार कराया। प्रबुल-फजल ने महत्वपूर्ण कार्य किये जो बौद्ध-धर्मी नही कर पाता। 'पाईन ए-अकबरी' में इस सत्य की पुष्टि की" । प्रशोक १. अशोक ने प्रसिद्ध जैन तीर्थ श्रवण बेन गोल के राज्य-समय में विदेशो में बौद्ध धर्म का पाया जाना (मैसूर) की यात्रा और वन्दना की और वहां विशाल जा किसी प्रामाणिक ऐतिहासिक ग्रन्थ से सिद्ध नहीं होता। मन्दिर बनवाये"। जैन धर्म और बौद्ध धर्म में अन्तर न जानने और प्राज- २. राज तरंगिणी पृ० ८ के अनुमार प्रशाक न कल बर्मा, लका, चीन, जापान, तिब्बत प्रादि में बौद्ध वितस्तापूर के विहार मे एक अत्यन्त श्राकर्षक और मिलने के कारण प्राधुनिक इतिहासकारो को यह भ्रम हो दर्शनीय जैन मन्दिर बनवाया। गया कि वहा प्रशोक ने बौद्ध धर्म फैलाया और इस भ्रम ३. अशोक ने श्रवण बेलगोल के चन्द्रगिरि पर्वत पर के कारण ही वे अशोक को बोद्ध-धर्मी कहनेलगे। एक मन्दिर बनवाया और उसका नाम अपने पितामह ___ अंग्रेजी मासिक (oriental) १८६२ ई० पृ० २३. चन्द्रगुप्त के नाम पर चन्द्रगुप्त बस्ती रखा जहाँ Rice ' २४ मे कथन है कि अशोक पर जैन धर्म का अधिक प्रभाव Archicological Survey Report १८८७ के अनुसार, होने के कारण उसने मिस्र, मैसेडोनिया और कोरिया मे चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अन्तिम १२ वर्ष व्यतीत धर्म प्रचारक भेजे । वहा बौद्ध नही, जैन स्मारक मिले है। किये थे और जहाँ की ६० जालियो पर चन्द्रगुप्त के जीवन
32. Egypt, Macedonia, Cyrene, Carynth,
Ceylon and Afganisthan, are named in Asoka's edicts, where he sent preachers to propogate his religion (Jainism). If Asoka was follower of Buddhsim, he would have preached in these countries Buddhism, surely some evidence of it should have come from there, but it is a striking fact that, "No Buddhist records are kept in the History of Egypt, Mecedonia, Coryoth and Cyrene, which countries were supposed to be converted to Buddhism, by the zeal of Asoka; on the other hand it can be said about Jainism that the influence of the religion is traceable in the above countries, in one or the other form. The Egyptian and Greek Philosophy do betray Jain influence --Confluence of Opposites. Ancient Greek found the sromanas, who should be Jain, traveling the countries of
Eur hopes and Abiyssinia.
-Asiatic Reasearches vol 1]]p. 6. 33 I doubt very much whether there is any
reference to 11 Buddhists in the Greek account. ---Rev. S. Beal, Journal of Royal Asiatic
Society, vol. XIX P. 420. 34. Asoka supported Jainism in Kashmir as
his father Bindusar and grand father Chander Gupta throughout Magadha Empire.
-- Abulfazal, Aina-i-Akbari, p. 29 35. Rajvali-Katha indicates that Asoka having
visited Sravanbelgola, a Holi Jain Tirth in Mysore) built a lofty Jain Temple there. -- Jain Shilalekha Sangrah, vol. I Intro.
P.6.