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महावीर-काल : कुछ ऐतिहासिक व्यक्ति
श्री दिगम्बर दास जैन, एग्वोकेट, सहारनपुर इतिहासकारो का कहना है कि भारत का प्रामाणिक (iv) प्रभावती सिंधु सौवीर ( कच्छ ) देश के राजा इतिहास भ० महावीर के जन्म से प्रारम्भ होता है, इस. उदयन की रानी थी। लिए हम उनके समय के ही कुछ ऐतिहासिक पुरुपो का (v) चेलना जो मगध सम्राट श्रेणिक-बिम्बसार की पट उल्लेख कर रहे है। यदि हम अपनी विपुल सामग्री तथा रानी थी। भावना के अनुसार विस्तार-पूर्वक वर्णन करे तो जितने व्य- (vi) सती चन्दना संसार की कामवासनाओं को रोकने क्तियो का कथन किया जाता है, उतने ही ग्रन्थ लिखने के लिए स्वयं प्राजन्म ब्रह्मचारिणी रही और होगे । स्थान के प्रभाव के कारण हम केवल उनका सक्षप भ० महावीर के समोशरण मे प्रायिका हो गई मे सकेत करना पड़ रहा है
थी और अपने घोर तप-बल से सर्वश्रेष्ठ मुख्य १. महाराज चेटक--- वैशाली के सम्राट् और भ० प्रायिका हुई। महावीर के नाना थे । यह इतने सदृढ जैन थे कि इन्होने (1) ज्येष्टा बचपन से ही वैरागी थी और प्रखण्ड प्रण कर रखा था कि अपनी पुत्रियो को अजैन से नही ब्रह्मचारिणी रही। विवाहगा। प्रजनके घर जैन कन्या जैनधर्म का इच्छानुसार
इस प्रकार महाराजा चेटक समस्त भारत के सुप्रसिद्ध भली प्रकार पालन नहीं कर सकती। इनके महायोद्धा १०
राजाम्रो के निकट सम्बन्धी थे । सत्य तो यह है कि पंचम पुत्र धनदत्त, दत्तभद्र, उपेन्द्र, सुदत्त, सिंहभद्र, सकुम्भोज,
काल में जनधर्म उनके तथा उनकी सतान के ही परिश्रम प्राकम्पन, सुपतंग, प्रभजन, और प्रभास तथा ७ कन्याए
का फल है। थी। (1) सिलादेवी, जो कुण्डल पर के राजा सिद्धार्थ से २. बिम्बसार-उपनाम श्रेणिक, मगध-सम्राट,
व्याही थी और भ० महावीर की माता थी। भारत का प्रथम ऐतिहासिक नरेश, सुदृढ जैनधर्मी । भ. (ii) मृगावती कोशाम्बी नरेश शतानीक की रानी थी। महावीर के समोशरण का सर्वश्रेष्ठ पर मुख्य श्रोता । २४ (in) सप्रभा दशाण देश के राजा दशरथ से ब्याही ताथवरो वा परम भक्त । पटना हाई कोर्ट के जज टी.
डी. बनरजी ने सम्मेद शिखर जी के फैसले मे लिखा है 1. King Chetak and his queen Bhadra were the Jainas held him one of their greatest
devout Jain who observed the daily vows Royal Patrons, whose historicity fortuof a Jay-man, They got 10 sons and 7 nately past all doubts daughters, who all were devotee of Maha- -Jainism in Northern India, p. 116 to 118. vita. -Dr. Kamta Prasad : Religion (ii) Shrenik- Bimbsar was Jain. of Tirthankaras.
-Early History of India, P. 33-45. 2. (1) The literary and legendary traditions of (iii) Shrenika, Bimbsar, Ajat-Satru and Uda
Jains about Shrenika are so varied and yin were followers of Jainism. so well recorded that they are eloquent -Cambridge History of India, Vol. I, witness to the high respect with which
p.161.
थी।